स्वास्थ्य सेवाओं में मची लूट का मुख्य कारण व्यावसायीकरण है
सिद्धार्थनगर: स्वास्थ्य सेवाओं में मची लूट के कारण आम नागरिकों के लिए उचित इलाज चुनौतीपूर्ण हो गया है। जो दिन-प्रति दिन और जटिल होता दिखाई दे रहा है, स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत गरीब परिवारों के मौत का कारण भी बन रही है, स्वास्थ्य सेवाओं का व्यावसायीकरण, निजी क्षेत्र पर निर्भरता इस लूट का मुख्य कारण हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में मची लूट का कारण व्यवस्था अभाव:
सरकारी सेवाओं के अविश्वसनीयता के कारण 70% से अधिक लोग प्राइवेट निजी अस्पतालों पर निर्भर होते हैं, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की लागत3-15 गुना तक अधिक होती है।
स्वास्थ्य सेवाओं का व्यावसायीकरण:
- प्रॉफिट : प्राइवेट अस्पतालों में महंगी फीस, महंगे ऑपरेशन, और गैर जरुरी दवाओं के प्रिस्क्रिप्शन मरीजों के पहुँच से बहार है। एक साधारण एंजियोप्लास्टी की लागत ₹2-5 लाख तक हो सकती है। जो एक आम आदमी कि पहुँच से बहार है।
- तकनीकी लागत में वृद्धि: एमआरआई (MRI), सीटी स्कैन(CT scan), और रोबोटिक सर्जरी (robotic surgery) जैसी तकनीकों का उपयोग काफी महंगाहै। जिसका खर्च आम जनता के बस के बहार है।
प्राइवेट हॉस्पिटल्स की मनमानी:
भारत में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विफलता के चलते प्राइवेट हॉस्पिटल्स की चांदी है। मनमानी दरों पर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मरीजों को मजबूर कर स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर प्राइवेट हॉस्पिटल ने लूट मचा राखी है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स की लूट के कुछ उदहारण इस प्रकार हैं।
जाँच का नाम | लागत | मार्किट रेट |
X-ray | 55/-80रु | 500-1350रु |
Ultrasound | 75-100रु | 600-1100रु |
Blood test | 5-10रु | 300-1000रु |
Urine test | 3-5रु | 150-1200रु |
भ्रष्टाचार का प्रभाव:
इस लूट का एक मुख्य कारण भ्रष्टाचार भी दवाओं और उपकरणों से लेकर हॉस्पिटल एवं लैब संचालन सब में भ्रष्टाचार हो रहा है। प्राइवेट होपिताल्स के नाम पर ग्रामीण छेत्रों में अधिकाश हॉस्पिटल बिना किसी रजिस्ट्रेशन के संचालित किये जा रहे हैं। बिना लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के हॉस्पिटल्स और लैब की पूरे प्रदेश में बहुतात है।
पूर्वांचल के कुछ जनपद गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, संतकबीरनगर, बस्ती और सिद्धार्थनगर इस मामले में अन्य जनपदों से बहुत आगे हैं। खास कर जनपद सिद्धार्थनगर इस लूट का सबसे बड़ा केंद्र है। जनपद के इटवा तहसील छेत्र को इसका गढ़ कहा जाता है। तहसील छेत्र के मिठौवा चौराहा, खंडसरी बाज़ार, खाठेला कोठी एवं अन्य चौक चौराहों पर कई झूलाछाप डॉक्टर बिना रजिस्ट्रेशन और मान्यता के आम जनता के जीवन से खिलवाड़ कर रहें हैं
प्रशासन मुख्दर्शक बना है:
स्वास्थ्य सम्बंधित इस लूट को प्रशासन बहुत अच्छी तरह जनता है। कुश खास मामलों में कार्यवाई जरुर हुई है लेकिन कार्यवाई उपरांत यह गोरखधंधा दोबारा सक्रय हो जाता है। गत वर्षो में कथेला कोठी एवं बांसी तहसील के कुछ हॉस्पिटल्स के खिलाफ कार्यवाई हुई थी लेकिन ऐसे तमाम हॉस्पिटल्स कुछ दिनों महीनों बाद दोबारा संचालित होने लगते हैं| अब इस के पीछे प्रशासन की क्या मजबूरी है यह बात समझ से परे है।