कानपुर।मोहम्मद उस्मान कुरैशी। मुस्लिम समाज के महान चिंतक, शिक्षाविद और सुधारक सर सैय्यद अहमद ख़ाँ के 208वें जन्मदिवस के अवसर पर खिदमत-ए-इंसानी फ़ाउंडेशन, परेड कानपुर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन मुस्लिम डेमोक्रेटिक फ्रंट के तत्वावधान में हुआ, जिसकी अध्यक्षता संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शाकिर अली उस्मानी ने की।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाजसेवी, छात्र नेता और विभिन्न समुदायों के लोग शामिल हुए। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री उस्मानी ने कहा कि सर सैय्यद अहमद ख़ाँ का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली के एक सम्पन्न और प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उन्होंने शिक्षा को समाज की तरक्की का सबसे अहम जरिया बताया। सर सैय्यद ने महसूस किया था कि मुसलमानों की उन्नति केवल आधुनिक तालीम से ही संभव है। इसी सोच को साकार रूप देते हुए उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की स्थापना की, जो आज विश्व की प्रमुख शैक्षणिक संस्थाओं में से एक है।
उन्होंने बताया कि एएमयू में 50 प्रतिशत सीटें अल्पसंख्यक छात्रों के लिए और 50 प्रतिशत अन्य समुदायों के छात्रों के लिए आरक्षित हैं, जिससे यह विश्वविद्यालय भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का सच्चा प्रतीक बन चुका है। बावजूद इसके, कुछ तथाकथित राजनीतिक नेता यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर सवाल उठाकर समाज में भ्रम फैलाने का कार्य कर रहे हैं, जो न केवल अनुचित है बल्कि शिक्षा और भाईचारे की भावना के विपरीत भी है।
श्री उस्मानी ने यह भी कहा कि सर सैय्यद अहमद ख़ाँ का मानना था कि कोई भी समाज तब तक तरक्की नहीं कर सकता जब तक वह आधुनिक शिक्षा को अपनाए नहीं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे तालीम हासिल करें और सर सैय्यद के सपनों के भारत के निर्माण में योगदान दें।
कार्यक्रम के अंत में सर सैय्यद अहमद ख़ाँ के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का संचालन इस्लाम ख़ाँ आज़ाद ने किया।
इस मौके पर प्रमुख रूप से मुबारक अहमद (पट्टू), शरीफ अहमद, अशफ़ाक अहमद, तौहीद अहमद, आदिल भाई, इरफ़ान अहमद, अमीन सिद्दीकी, वेदप्रकाश कुमार कटमपुरी, जीशान भाई, श्याम मौर्य तथा श्रीमती शबाना उस्मानी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।