केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सोमवार को भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के तीन मामलों की पुष्टि हुई, जो देश में इस वायरस का पहला मामला है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वह सभी उपलब्ध निगरानी चैनलों के माध्यम से स्थिति की निगरानी कर रहा है। उसने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईएमसीआर) पूरे साल एचएमपीवी प्रसार के रुझानों पर नज़र रखना जारी रखेगी।
परिचय
HMPV एक श्वसन वायरस है जो पहली बार 2001 में नीदरलैंड में खोजा गया था। यह न्यूमोविरिडे का ही एक वेरिएंट है, जो रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस (RSV) जैसा ही है।
संक्रमण और प्रसार:
- संक्रमित लोगों के साथ निकट संपर्क के माध्यम से श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है
- सतहों पर कई घंटों तक जीवित रह सकता है
- सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत में सबसे ज्यादा पर्भावी होता है
- भीड़ भाड़ में तेजी से फैल सकता है, खासकर स्कूलों और नर्सिंग होम आदि में
शुरूआती लक्षण:
वायरस आमतौर पर ऊपरी और निचले सांस की नलियों में संक्रमण का कारण बनता है, जिसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- खांसी
- बुखार
- नाक बंद होना
- सांस लेने में तकलीफ
- घरघराहट
- गले में खराश
- स्वर बैठना
- गंभीर मामलों में, ब्रोंकाइटिस या निमोनिया
जोखिम समूह (Risk Groups)
इस वायरस से कोई भी संक्रमित हो सकता है, कुछ गंभीर बीमारियों यह अधिक जोखिम दायक हो सकता हैं:
- 5 वर्ष से कम उम्र के छोटे बच्चे
- 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग
- हृदय या फेफड़ों के रोग से पीड़ित लोग
- प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ता ( ऐसे लोग जिन्होंने हिर्दय या किडनी ट्रांस्पलांट कराया हो)
निदान एवं उपचार:
- सांस की नलियों के पीसीआर परीक्षण के माध्यम से निदान किया जा सकता है
- अभी इस वायरस कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार मौजूद नहीं है
- यदि ऐसा कोई लक्षण दिखाई दे तो उस काबू पाने पर ध्यान केंद्रित रखें
- आराम और हाइड्रेशन
- ओवर-द-काउंटर बुखार कम करने वाली दवाएँ इस्तेमाल करें
- आर्द्र हवा (Humidified air)
- गंभीर मामलों में, ऑक्सीजन सहायता के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है
रोकथाम/बचाव
- नियमित रूप से हाथ धोना
- बीमार व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क बनाने से बचना
- खाँसते या छींकते समय मुँह और नाक को ढकना
- बीमार होने पर घर पर रहना
- बार-बार छुई जाने वाली सतहों (surfaces) की नियमित सफाई
नैदानिक प्रभाव:
- बच्चों में सांस सम्बंधित संक्रमण लगभग 5-10% मामलों का कारण बन सकता है
- जीवन भर में कई बार संक्रमण हो सकता है
- स्वस्थ लोगों में आम तौर पर यह संक्रमण हल्का होता है
- आम सर्दी या फ्लू भी संक्रमण का कारण बन सकता है
- वर्तमान में कोई टीका उपलब्ध नहीं है
HMPV पर शोध जारी है ताकि इसके जीव विज्ञान को बेहतर ढंग से समझा जा सके और संभावित उपचार या टीके विकसित किए जा सकें। हाल के वर्षों में इस वायरस ने अधिक ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि बेहतर परीक्षण ने दुनिया भर में श्वसन संबंधी बीमारियों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का खुलासा किया है।