मदरसा जामे उल उलूम जामा मस्जिद पटकापुर में आयोजित इस्लाही मज्लिस से मौलाना ख़लीलुर्रहमान सज्जाद नोमानी का सम्बोधन
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कानपुर। मोहम्मद उस्मान कुरैशी। मुहब्बत का इज़हार किसी को चिढ़ाने के लिये नहीं होना चाहिए, मुहब्बत तो खुद बताती है कि आपको किससे कितनी मुहब्बत है? क्या हम अपने दीवारों पर ‘आई लव माई वाइफ’ का पोस्टर लगाकर अपनी बीवी से मुहब्बत का इज़हार करते हैं? हम दुश्मनों के जाल में बार-बार फंसते जा रहे हैं, अगर समझदारों की संगत में उठना बैठना होता तो बड़ी क़ीमती-क़ीमती बाते मुफ्त में मिल जाती हैं।
इन विचारों को विश्वप्रसिद्ध आलिमे दीन मौलाना ख़लीलुर्रहमान सज्जाद नोमानी ने मदरसा जामे उल उलूम जामा मस्जिद पटकापुर में आयोजित इस्लाही मज्लिस में सम्बोधित करते हुए कहा कि देश की अधिकांश जनता जुल्म को पसंद नहीं कर रही। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा रजि0 की ज़िन्दगियों की मिसालों से बताया कि हमें अगर कोई गुस्सा दिलाये और हम गुस्से में आ जायें तो यह दुश्मन की कामयाबी है, लेकिन अगर हमें गुस्सा दिलाये और हम गुस्से में ना आये यह दुश्मन की नाकामी है।
मज्लिस में जमीयत उलेमा के प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी ने मौलाना सज्जाद नोमानी के कानपुर आमद पर स्वागत करते हुए मौलाना द्वारा की गई दीन की सेवाओं से वाक़िफ कराया। मदरसा जामे उल उलूम के उस्ताद मुफ्ती अब्दुर्रशीद क़ासमी ने उलेमा की बैठकों में जाने से मिलने वाले फायदे के बारे में बताया। मुफ्ती सुल्तान क़मर क़ासमी ने मदरसा जामे उल उलूम जामा मस्जिद पटकापुर के इतिहास से वाक़िफ कराया।
मदरसे के मोहतमिम व मुतवल्ली मोहीउद्दीन खुसरू ताज ने मज्लिस के तमाम लोगों का इस्तेक़बाल करते हुए आने पर शुक्रिया अदा किया। संचालन मुफ्ती मुहम्मद माज़ क़ासमी ने किया। क़ारी मुजीबुल्लाह इरफानी ने तिलावते कुरआन से मज्लिस का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में उलेमा ए किराम, मस्जिदों के इमाम, स्कूल, कालेज और मदरसों के ज़िम्मेदार, डाक्टर, वकील, इंजीनियर और विभिन्न कार्यक्षेत्र से जुड़े वरिष्ठजन मौजूद रहे।