संस्थापक आदर्शों के संकल्प संग मनाया गया मुमताज़ पी.जी. व इंटर कॉलेज का संस्थापक दिवस
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लखनऊ,(अबू शहमा अंसारी) मुमताज़ पी.जी. कॉलेज और मुमताज़ इंटर कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में वार्षिक संस्थापक दिवस (मुमताज़ डे) बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह 9 बजे कुरआन खानी से कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसमें संस्थान के दिवंगत संस्थापक सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन की प्रबंध समिति के पदाधिकारी, शिक्षण۔शिक्षणेत्तर कर्मचारी, छात्र-छात्राएँ और गणमान्य अतिथि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
समारोह की गरिमा अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन के प्रतिनिधियों की उपस्थिति से और बढ़ गई। मुख्य अतिथियों में सैयद कफील अहमद, सैयद बिलाल नूरानी, जनाब हमीद इक़बाल, जनाब गुफरान नसीम, जनाब अदील सिद्दीकी, जनाब खालिद हलीम, पूर्व प्राचार्य प्रो. अतीक अहमद फारूकी, डॉ. अब्दुर्रहीम, मुमताज़ इंटर कॉलेज के प्राचार्य जनाब नौशाद अहमद पठानिया, लुआक्टा अध्यक्ष प्रो. मनोज पाण्डेय और उपाध्यक्ष प्रो. सिद्धार्थ समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुए। सभी ने संस्थान के संस्थापकों के आदर्शों को याद कर नई पीढ़ी को शिक्षा, संस्कृति और नैतिक मूल्यों के प्रति प्रेरित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन की तिलावत और नात-ए-पाक से हुई। इसके बाद छात्रों ने आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं। कॉलेज मैनेजर ने कहा कि मुमताज़ डे केवल हमारी जड़ों की याद नहीं दिलाता, बल्कि हमें समाज और शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का अहसास कराता है। प्रबंध समिति के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने संस्थान की स्थापना और विकास पर प्रकाश डालते हुए सभी सक्षम लोगों से अपील की कि वे समाज के कमजोर वर्ग के छात्रों की शिक्षा में बिना किसी भेदभाव के सहयोग करें।
समारोह के अंतिम चरण में विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन ने डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रो. नसीम अहमद खान, इंटर कॉलेज के प्राचार्य जनाब नौशाद अहमद पठानिया, साइंस फैकल्टी की इंचार्ज डॉ. उमा पाण्डेय और इंटर कॉलेज के जीवविज्ञान लेक्चरर खालिद शम्स को विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। तत्पश्चात समाजशास्त्र विभाग की वरिष्ठ शिक्षिका डॉ. सबा तबस्सुम की देखरेख में सभी अतिथियों, छात्रों और स्टाफ को जलपान कराया गया। मुमताज़ डे 2025 शिक्षा, कला और संस्कृति का ऐसा अद्भुत उत्सव सिद्ध हुआ जिसने संस्थान के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया।