नायब इमाम ईदगाह मौलाना सुब्हान इलाही ने अदा कराई नमाज़ जनाज़ा, हज़ारों की संख्या में अवाम की शिरकत
कानपुर (मोहम्मद उस्मान क़ुरैशी) शहर के बुजुर्ग आलिमे दीन मर्कज़ी ईदगाह के इमाम मौलाना मुहम्मद शकील क़ासमी पूर्व शिक्षक मदरसा जामे उल उलूम जामा मस्जिद पटकापुर के इंतेक़ाल की खबर फैलते ही शहर में ग़म की लहर दौड़ गई। दिवंगत मौलाना 70 वर्ष के थे। पूर्व इमाम ईदगाह दिवंगत क़ारी मुहम्मद इलाही के बराबर बीमार रहने के कारण मर्कज़ी ईदगाह बेनाझाबर के ज़िम्मेदारों ने ईदगाह में ईद की नमाज़ की इमामत की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। लम्बे समय से मधुमेह का रोग था
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!, पिछले कुछ दिनों से बीमारियां बढ़ गई थीं, 12 दिसम्बर की रात 11ः45 बजे लीलामनी अस्पताल में अंतिम सांस ली। परिजनों में तीन बेटे मुहम्मद अनस, मुहम्मद राग़िब, मुहम्मद शरीफ और एक बेटी है। नमाज जनाज़ा ईदगाह के नायब इमाम मौलाना सुब्हान इलाही ने अदा कराई। जनाज़े की नमाज़ में बड़ी संख्या में अवाम शरीक हुए।
मदरसा जामे उल उलूम जामा मस्जिद पटकापुर के मोहतमिम व मुतवल्ली मुहीउद्दीन खुसरो ताज ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मौलाना ने 35 वर्षां तक मदरसा जामे उल उलूम में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं। बीमारियों के कारण पढ़ाने का सिलसिला बंद किया लेकिन अपनी दुआओं में मदरसे को हमेशा याद रखा।
अल्लाह उन्हे जन्नतुल फिरदौस में जगह अता फरमाए।
का़जी ए शहर हाफिज़ मामूर अहमद जामई ने बताया कि दिवंगत मौलाना शकील उनके पिता पूर्व काज़ी ए शहर हाफिज़ मामूर अहमद जामई के निकट मित्रों में थे। मदरसा जामे उल उलूम में लम्बे समय तक साथ में पढाने की खिदमत अंजाम दीं। उनके इंतेक़ाल से शहर का बड़ा इल्मी नुक्सान हुआ है।
राब्ता मदारिस इस्लामिया दारूल उलूम देवबन्द मशरिक़ी यूपी जो़न-1 के अध्यक्ष मुफ्ती इक़बाल अहमद क़ासमी ने ताज़ियत करते हुए कहा कि मौलाना मरहूम के अंदर आलिमाना वका़र, सीरत का हुस्न, उसूल पसन्दी, अपने जानने वालों का पूरा ख्याल, खुशमिज़ाजी समेत कई विशेषताएं थीं। अधिकांश समय किताबों का पढ़ने में लगाते थे। अंतिम समय तक कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी की सरपरस्ती करते रहे।