बहराइच: 13 अक्टूबर 2024 को जनपद बहराइच के महसी महराज दंगा मामले में फ़र्ज़ी जमानत अर्जी डाल कर केस को कमज़ोर करने साजिश का पर्दाफाश हुआ है.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!प्राप्त जानकारी अनुसार बहराइच दंगा आरोपी अब्सेदुल हमीद से सम्बंधित केस संख्या 369/2024 में फ़र्ज़ी जमानत अर्जी दाखिल कर के केस को कमज़ोर करने की साजिश की जा रही है. आरोपी अब्दुल हमीद की बेटी रुखसार उर्फ सालिहा ने न्यायाधीश जनपद बहराइच से मामले को संज्ञान में ले कर उचित कार्रवाई की मांग की है.
रुखसार उर्फ सालिहा ने बताया की उनके पिता व भाइयों ने अपना अधिवक्ता मोहम्मद कलीम हाशमी एडवोकेट को नियुक्त कर रखा है। जिसमें उपरोक्त अधिवक्ता महोदय ही पैरवी कर रहे हैं। इस बीच रुखसार उर्फ सालिहा को पता चला कि किसी अनिल कुमार अवस्थी व पवन कुमार मिश्रा एडवोकेट ने किसी मोहम्मद जफर पुत्र अबरार हुसैन निवासी मोहल्ला चांदपुर थाना कोतवाली नगर जनपद बहराइच को प्रार्थिनी के पिता व रिश्तेदार दर्शित करके रुखसार उर्फ सालिहा के पिता व भाइयों का रिश्तेदार बाताकर जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दिया जब रुखसार उर्फ सालिहा ने अपने भाई के माध्यम से उपरोक्त मोहम्मद जफर को तलाश कराया तब मोहम्मद जफर ने प्रार्थिनी के भाई से बताया कि अशरफ कमाल व कमल शंकर चतुर्वेदी और फजलू इस प्रकरण में बता सकते हैं।
इस संबंध में जब मोहम्मद जफर से बात की गई तो उसने बताया कि बैनामा के गवाह के कागजात बता कर उससे हस्ताक्षर लिया गया था. मोहम्मद जफर का कहना है कि उसने किसी का जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत नहीं किया है.
इस मामले में जब अब्दुल हमीद के बेटे ने शरफ कमाल बात की तो अशरफ कमाल ने बताया कि उसने अपने साथी फजलू को जफर के हस्ताक्षर वाले कागजात दिए थे किन्तु कीसी के जमानत के कागजात के संबंध में उसे कोई जानकारी नहीं है
प्रार्थीनी रुखसार उर्फ सालिहा का आरोप है कि जाँच एजेंसियां साजिश के तहत मोहम्मद जफर को हमारा झूठा रिश्तेदार बता कर हमरे केश को ख़राब एवं न्यायालय को भी धोखा दे रही हैं.
इस सम्बन्ध में केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता मोहम्मद कलीम हाशमी जब न्यूज़G24 ने बात की तो उन्होंने बताया कि यह जन बूझ कर मामले को ख़राब करने के लिया किया जा रहा है. उन्होंने ने बताया उनके उपर भी ज़मानत अर्जी प्रस्तुत करने के लिए दबाव बनाया जाता रहा है. कलीम हाश्मी ने बताया कि जब तक मामले से जुड़े सभी तथ्यों की जाँच एवं सुनवाई नहीं हो जाती ज़मानत अर्जी ख़ारिज हो सकती जिससे मामले से जुड़े सभी अभियुक्तों की परीशानी बढ़ जाएगी. इस बात की आशंका भी है कि बिना पूरी न्यायिक जाँच प्रकिर्या पूरी हुए अगर ज़मानत अर्जी ख़ारिज होती है अभियुक्तों को सज़ा भी हो सकती है.
यही वह कमज़ोर पहलू है जिसका साजिशकर्ता फायदा उठा कर आरोपियों का मामला ख़राब करना चाहते हैं. अब इस पूरे मामले की न्यायिक जाँच एवं कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए रुखसार उर्फ सालिहा ने आइजीआरएस से उच्च न्यायालय इलाहाबाद, प्रशासनिक जज जनपद बहराइच ,रजिस्ट्रार उच्च न्यायालय इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश लखनऊ एवं पुलिस अधीक्षक जनपद बहराइच से न्याय एवं फ़र्ज़ी जमानत अर्जीकर्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है.