कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ और कुलसचिव प्रो. महताब आलम रिजवी की प्रेरक भूमिका
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लेखक : डॉ आसिफ उमर, हिन्दी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली 25
शिक्षा केवल ज्ञान का संप्रेषण नहीं है, बल्कि यह समाज को दिशा देने और भविष्य के नागरिकों को गढ़ने की एक क्रांतिकारी प्रक्रिया है। जब बात भारत की गौरवशाली शैक्षणिक संस्थाओं की होती है, तो जामिया मिल्लिया इस्लामिया का नाम स्वर्ण अक्षरों में उभरता है। हाल के वर्षों में इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ने जो उपलब्धियाँ हासिल की हैं, वे इसकी शैक्षिक गुणवत्ता, सांस्कृतिक विरासत और प्रगतिशील नेतृत्व का जीवंत प्रमाण हैं।
आज जब हम जामिया की सफलता की चर्चा करते हैं, तो दो नाम विशेष रूप से सामने आते है कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ और कुलसचिव प्रोफेसर मोहम्मद महताब आलम। इन दोनों व्यक्तित्वों के कुशल नेतृत्व, दूरदर्शिता और निष्ठा ने जामिया को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक पटल पर एक विशेष स्थान दिलाया है।
कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ़: नेतृत्व की नई परिभाषा
प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ एक सुविज्ञ विद्वान, संवेदनशील प्रशासक और आधुनिक सोच के प्रतीक हैं। उनका शैक्षणिक दृष्टिकोण केवल अकादमिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि वे छात्रों के समग्र विकास में विश्वास रखते हैं। वे भाषा, संस्कृति और विविधता को समृद्धि का आधार मानते हैं और यही सोच उन्होंने विश्वविद्यालय में भी प्रतिबिंबित की।
कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ के कार्यकाल में जामिया ने राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में उल्लेखनीय प्रगति की है। अनुसंधान की दिशा में नए केंद्रों की स्थापना की योजना, अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ समझौते, और नवाचार पर ज़ोर—इन सभी ने जामिया को अकादमिक उत्कृष्टता की दिशा में अग्रसर किया है।
प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ संवाद और सहभागिता में विश्वास रखते हैं। छात्रों के साथ खुली चर्चा, शिक्षकों के विचारों का सम्मान और कर्मचारियों के साथ मानवीय संबंध—यही उनके नेतृत्व का मूल मंत्र है। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर को एक समावेशी, सुरक्षित और बौद्धिक वातावरण में परिवर्तित किया है।
कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ विश्विद्यालय के समग्र विकास में दिन रात लगे रहते हैं और प्रत्येक शिक्षक, प्रत्येक कर्मचारी की भलाई और तरक्की में अपना योगदान देते रहते हैं. प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ जामिया के ऐसे कुलपति हैं जो हमेशा विकासात्मक कार्यों के लिए याद किए जाएंगे.
कुलसचिव प्रोफेसर मोहम्मद महताब आलम रिजवी
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलसचिव प्रोफेसर मोहम्मद महताब आलम रिजवी को आधुनिक प्रशासनिक प्रणाली का कुशल शिल्पकार कहा जा सकता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में जिस प्रतिबद्धता, दक्षता और पारदर्शिता के साथ कार्य किया है, वह अनुकरणीय है।
प्रो. महताब आलम ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल रूप में परिवर्तित किया है, जिससे विश्वविद्यालय के आंतरिक तंत्र में समयबद्धता और उत्तरदायित्व की भावना विकसित हुई है। छात्रवृत्तियों, नियुक्तियों, और वित्तीय प्रशासन में उन्होंने ई-गवर्नेंस को अपनाने की योजना बनाई है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावनाओं को न्यूनतम कर पारदर्शिता को बढ़ावा मिले।
कुलसचिव प्रोफेसर मोहम्मद महताब आलम रिजवी की विशेषता यह है कि वे हर स्तर पर संवाद को प्राथमिकता देते हैं। चाहे शिक्षक हों या कर्मचारी, छात्र हों या शोधार्थी—हर वर्ग के लिए उन्होंने द्वार खुले रखे। उनकी नेतृत्व क्षमता, संवेदनशीलता और दूरदृष्टि ने विश्वविद्यालय को एक सुदृढ़ प्रशासनिक आधार प्रदान किया है।
शैक्षिक उपलब्धियाँ: ज्ञान की ऊंचाइयों की ओर
कुलपति और कुलसचिव के साझा प्रयासों का परिणाम है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने शिक्षा, शोध, और नवाचार के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में शोध परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में शोध प्रकाशित हो रहे हैं।
विश्वविद्यालय की कई फैकल्टीज़ और केंद्र ने UGC और अन्य प्रतिष्ठित निकायों से उत्कृष्टता की मान्यता प्राप्त की है। छात्र भी विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहे हैं।
समाज और समुदाय के प्रति उत्तरदायित्व
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना ही एक सामाजिक आंदोलन के रूप में हुई थी, और यह संस्था आज भी उसी भावना को जीवित रखे हुए है। कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ और कुलसचिव प्रो. महताब आलम रिजवी ने विश्वविद्यालय को सामाजिक सरोकारों से जोड़ते हुए शिक्षा को एक माध्यम बनाया है सशक्तिकरण का, समानता का और विकास का।
चाहे शिक्षा का प्रसार हो या सभी वर्गों के लिए अवसरों का विस्तार—इन दोनों ने जामिया को एक समावेशी शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित किया है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्तियाँ, आवासीय सुविधाएँ, करियर गाइडेंस, और भाषा सहायता कार्यक्रमों को सुदृढ़ बनाया गया है।

कोविड महामारी के समय जामिया की तत्परता, छात्रों की देखभाल, ऑनलाइन शिक्षा का त्वरित आरंभ, और प्रशासन की सजगता ने विश्वविद्यालय की संवेदनशीलता और तत्परता का परिचय दिया।
वैश्विक मंच पर जामिया की पहचान
आज जामिया मिल्लिया इस्लामिया केवल एक भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक शैक्षणिक ब्रांड बन चुका है। QS World Rankings, Times Higher Education जैसे वैश्विक प्लेटफॉर्म्स पर जामिया की उपस्थिति एक बड़ी उपलब्धि है।
कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ और कुलसचिव प्रो. महताब आलम के प्रयासों से कई अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिससे छात्रों को विदेशी संस्थानों में अध्ययन व अनुसंधान के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम, संयुक्त शोध परियोजनाएँ, और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार—इन सभी ने जामिया को विश्व मानचित्र पर एक सशक्त शैक्षणिक केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया है।
इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय में अब विदेशी छात्र अधिक संख्या में अध्ययनरत हैं, जो विविधता और वैश्विक दृष्टिकोण को और समृद्ध बनाते हैं।
संस्कृति, साहित्य और भाषा के क्षेत्र में योगदान
जामिया की पहचान केवल विज्ञान या तकनीक तक सीमित नहीं है। यह साहित्य, संस्कृति, भाषा, कला और इतिहास की समृद्ध परंपरा का भी पोषण करता है। प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ स्वयं एक विद्वान भाषा शास्त्री हैं, जिनकी फारसी, उर्दू और संस्कृति को लेकर गहरी समझ ने विश्वविद्यालय के मानवीय विषयों को नई ऊर्जा दी है।
कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ और कुलसचिव प्रो. महताब आलम रिजवी ने सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है—चाहे वो छात्रों के नाटक हों, सेमिनार हों, डिबेट हों या फिर वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव। इन्होंने यह सुनिश्चित किया कि अकादमिक उत्कृष्टता के साथ-साथ सांस्कृतिक चेतना भी फले-फूले।
नवाचार और डिजिटल युग में कदम
एक ऐसे युग में जब तकनीक तेज़ी से बदल रही है, जामिया ने अपने डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सशक्त बनाकर छात्रों को नवीनतम तकनीकी संसाधन प्रदान किए हैं। स्मार्ट क्लासरूम्स, वर्चुअल लैब्स, ई-लाइब्रेरी, और एड-टेक इनीशिएटिव्स विश्वविद्यालय की आधुनिकता को दर्शाते हैं।
कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ और कुलसचिव प्रो. महताब आलम रिजवी ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तकनीक का समुचित उपयोग कर विश्वविद्यालय को समय के साथ आगे बढ़ाया है। इससे कार्यक्षमता तो बढ़ी ही, साथ ही छात्रों और कर्मचारियों को भी सुविधा प्राप्त हुई।
छात्रों की आवाज़ और नेतृत्व का समर्थन
कुलपति और कुलसचिव की सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि उन्होंने छात्रों को केवल शिक्षार्थी नहीं, बल्कि भागीदार माना। जामिया में छात्र-संवेदना की जो परंपरा है, उसे सुरक्षित रखते हुए उन्होंने संवाद और विचार विमर्श के मंचों को बल दिया है।
कई बार जब राष्ट्रीय या सामाजिक मुद्दों पर छात्रों की चिंता सामने आई, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने सुनने, समझने और समाधान खोजने में सक्रिय भूमिका निभाई। यह खुलापन और विश्वास का वातावरण ही जामिया की सबसे बड़ी पूंजी है।
भविष्य की ओर आशा भरी दृष्टि
आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो यह स्पष्ट होता है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने बीते कुछ समय मे वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान ही नहीं बनाई है, बल्कि एक नया इतिहास भी रचा है। इसके पीछे जिस दृढ़ नेतृत्व, अकादमिक प्रतिबद्धता, और मानवीय दृष्टिकोण की भूमिका रही है उसका श्रेय कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ और कुलसचिव प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी को देना एक नैतिक कर्तव्य है।
उनके मार्गदर्शन में जामिया न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व, वैश्विक संबंधों और सांस्कृतिक चेतना के क्षेत्र में भी एक प्रेरणा स्रोत बन चुका है।
आज जामिया मिल्लिया इस्लामिया एक ऐसा दीप बन चुका है, जिसकी रोशनी राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर पूरी दुनिया में शिक्षा, शांति, और समरसता का संदेश दे रही है।