मदरसों को दरपेश चुनौतियाँ, जमीयत के तामीरी प्रोग्राम, मिसाली और गैर-मिसाली ज़िलों की कारगुज़ारी समेत कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा
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कानपुर, मोहम्मद उस्मान कुरैशी। देश में मदरसों को दरपेश नए खतरों, मुस्लिम समाज की तालीमी नुमाइंदगी और दीनी इदारों के तहफ़्फुज़ की बढ़ती ज़रूरत के मद्देनज़र, जमीयत उलमा-ए-हिंद की हिदायत पर जमीयत उलमा वस्ती ज़ोन उत्तर प्रदेश की दो दिवसीय सूबी बैठक आज 21 मई, बुधवार को मग़रिब के बाद जमीयत बिल्डिंग, रजबई रोड, कानपुर में शुरू होगी। इसमें ज़ोन के सभी ज़िलों के सदर, नुज़्मा, मिसाली ज़िलों के कन्वीनर और जिम्मेदार शख्सियतें शिरकत करेंगी।
इस बैठक के दौरान पिछले छह माह की रिपोर्ट का जायज़ा लिया जाएगा, मदरसों को पेश आ रही चुनौतियों पर तफ्सीली बहस होगी, मेंबरशिप मुहिम की प्रगति, और जमीयत के जारी तामीरी व तरक्कीयाती प्रोजेक्ट्स का भी आकलन किया जाएगा।
बैठक की सबसे अहम नशिस्त कल 22 मई, गुरुवार को सुबह 9 बजे जामिअ मस्जिद अशरफाबाद में होगी, जहां “तहफ़्फुज़-ए-मदारिस कन्वेंशन” का आयोजन किया जाएगा। इस कन्वेंशन में जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना सैयद महमूद मदनी बतौर मेहमान-ए-ख़ास शिरकत करेंगे। इस मौके पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के चालीस से ज़्यादा ज़िलों से आए तीन सौ से अधिक मदरसों के ज़िम्मेदार हज़रात की भागीदारी रहेगी। कन्वेंशन में न सिर्फ मौजूदा हालात पर रोशनी डाली जाएगी, बल्कि सामूहिक फैसलों के ज़रिए आइंदा की हिकमत-ए-अमली भी तय की जाएगी।
जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश के नायब सदर मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी ने बताया कि “राज्य भर में मदरसों को मान्यता न होने के बहाने से नोटिस थमाना और उन्हें बंद करने की जो कोशिशें हो रही हैं, वह ना सिर्फ नाइंसाफ़ी है, बल्कि साफ़ तौर पर एकपक्षीय रवैया है।” उन्होंने कहा कि “इस कन्वेंशन के ज़रिए हम मदरसों की आवाज़ को एक मज़बूत मंच देंगे और क़ानूनी, तंजीमी और अवामी हर सतह पर उनके हक़ की लड़ाई लड़ेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि “जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हमेशा मुल्क और मिल्लत की तरक़्क़ी और तहफ़्फुज़ के लिए काम किया है। अदालतों से लेकर सरकारी दफ्तरों तक, मसाजिद, मकातिब और मदरसों के हक़ में हर मोर्चे पर मज़बूत आवाज़ उठाई है और ये सिलसिला जारी है।”
बैठक में मुल्क के नामवर उलेमा-ए-दीन, ख़ासकर मुफ़्ती सैयद मुहम्मद अफ़्फान मंसूरपुरी और मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी की भी शिरकत की उम्मीद है, जो इस बैठक को इल्मी गहराई और तंजीमी रहनुमाई से भरपूर बनाएंगे।
जमीयत उलमा वस्ती ज़ोन के नाज़िम-ए-आला मुफ़्ती ज़फ़र अहमद क़ासमी ने कहा कि “यह बैठक महज़ एक औपचारिक इजलास नहीं बल्कि तंजीमी मजबूती, दीनी हमियत और अमली दूरअंदेशी से भरपूर एक तारीखी मरहला साबित होगी, जिसके असरात सूबे भर में महसूस किए जाएंगे।”