- E-kyc के जटिल सिस्टम, ख़राब सर्वर के चलते किसानों को विभिन्न सम्स्स्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
- जनसेवा केन्द्रों एवं साइबर कैफे संचालकों की मनमानी E-kyc प्रणाली में बन रही बाधा.
- देर रत तक जनसेवा केन्द्रों तथा साइबर कैफ़े पर लग रही भीड़
शासन आदेशनुसार पी एम किसान सम्मान निधि पा रहे सभी किसानों को E-kyc कराना अनिवार्य है. प्रशासन ने इस के लिए Farmer Registry वेब पोर्टल लांच किया जहाँ किसान अपनी सुविधा अनुसार अपने अभिलेखों को सत्त्यापित कर अपनी E-kyc प्रकिर्या को पूरी कर सकता है.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!कहने के लिए सरकार ने सिस्टम तो बना दिया किन्तु सरकार द्वारा निर्मित E-kyc पोर्टल सुचारू रूप से काम नहीं कर रहा है. रजिस्ट्रेशन परिक्रिया पूरी करते ही किसान निम्न सम्स्स्याओं का सामना करना पड़ता है.
प्रमुख म्स्स्ययें
- आधार और भुलेख सम्बंधित अभिल्खों में नामों का मिस मैचिंग.
- सभी खसरा खतौनी अभिलेखों का सत्त्यापन न होना.
- फ़ाइनल स्टेप जा कर OTP वेरीफाई न होना
- E-kyc के नाम अधिक शुल्क वसूली भी एक बड़ी समस्सया है.
अवैध पैसों की वसूलो
साइबर एवं जनसेवा संचालक E-kyc से पहले सभी खेतों के अलग अलग अभिलेख का प्रिंट मांगते हैं जिसके लिए कर किसान को कम से कम 20 रूपये के अधिक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है. प्रिंट आउट के लिए एक कॉपी के 20 रूपये से लेकर अधिक की कोई सीमा नहीं है. जिसके पास जितने गाटे होंगे उसको प्रति प्रिंट 20 रूपये अधिक देना पड़ता है. जबकि सकरार द्वारा मांगे गए E-kyc के लिए किसी तरह के हार्ड कॉपी को कोई आवयश्कता नहीं है.
सुझाव
- सबसे पहले सरकार को अपना पोर्टल और सरल और भ्रभावी बनाना चाहिए
- नामों के सत्यापन के लिए मिस मैच की समस्सया ख़तम अथवा लेखपाल को नामों के शुद्धिकरण का आदेश दिया जाना चाहिए
- E-kyc के लिए जनसेवा केन्द्रों एवं साइबर कैफ़े संचालकों के लिए शुल्क निर्धारित होना चाहिए
यदि सरकार एवं प्रशासन ने इस में सुधार नहीं किया तो E-kyc परिकिया पूर्ण रूप से विफल हो जायेगी और बहुत से पात्र किसान भी अपात्रता के शिकार हो जायेंगे.