स्वयंसेवी संस्था प्रकृति सहयोग फोरम के प्रयास से मिली नई जिंदगी
कानपुर। मोहम्मद उस्मान कुरैशी। जिला कारागार, कानपुर नगर से चार बंदियों को उस समय रिहाई मिली जब स्वयंसेवी संस्था प्रकृति सहयोग फोरम, कानपुर नगर ने उनके ऊपर लगाए गए जुर्माने की रकम अदा कर दी। ये बंदी अपनी मूल सजा पूरी कर चुके थे, लेकिन जुर्माना अदा न कर पाने के कारण अतिरिक्त सजा काटने पर मजबूर थे। संस्था के सहयोग से 30 सितम्बर 2025 को इन चारों बंदियों को आज़ादी मिली।
जेल अधीक्षक डॉ. बी. डी. पाण्डेय ने जानकारी दी कि जेल में कुल चार ऐसे बंदी थे, जिन पर अन्य कोई मुकदमा लंबित नहीं था। ये केवल अर्थदंड (जुर्माना) न चुका पाने की वजह से जेल में बंद थे। समाजसेवी संस्था ने इनका जुर्माना जमा कराकर इन्हें रिहाई दिलाई।
रिहा होने वाले बंदियों के नाम और सजाएँ
- अनिल कश्यप – निवासी गुप्तार घाट, थाना फीलखाना। इन्हें 2 वर्ष 9 माह की सजा और ₹3000 का अर्थदंड हुआ था।
- सूरज पासी – निवासी झगईपुरवा, थाना किदवई नगर। इन्हें 1 वर्ष 1 माह की सजा और ₹1500 का अर्थदंड हुआ था।
- करन यादव उर्फ चुर्री – निवासी पाण्डुनगर, थाना काकादेव। इन्हें 1 वर्ष की सजा और ₹1000 का अर्थदंड मिला था।
- पिन्टू – निवासी मूलगंज, थाना मूलगंज। इन्हें 2 वर्ष की सजा और ₹2000 का अर्थदंड सुनाया गया था।
इन चारों की जेल की मूल सजा समाप्त हो चुकी थी, लेकिन अर्थदंड अदा न कर पाने के कारण वे जेल में रह रहे थे।
संस्था और जेल प्रशासन की मौजूदगी
इस रिहाई के दौरान प्रकृति सहयोग फोरम की ओर से एडवोकेट आरिफ़ खान, एडवोकेट शबीना कुरैशी, एडवोकेट सैयद नजमुसाकिब और समर खान मौजूद रहे। वहीं जेल प्रशासन की ओर से जेलर अवधेश प्रसाद राय, डिप्टी जेलर अरुण कुमार सिंह, प्रदीप कुमार सिंह और राजेन्द्र मिश्र भी शामिल रहे।
सामाजिक पहल की सराहना
जेल अधीक्षक डॉ. बी. डी. पाण्डेय ने संस्था के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि समाज के सहयोग से ही ऐसे बंदियों को एक नई शुरुआत करने का अवसर मिल सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि रिहा हुए बंदी समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे।