कानपुर ( मोहम्मद उस्मान कुरैशी) इस गरिमामय बैठक की मेज़बानी मौलाना हामिद हुसैन साहब ने की, जो ख़ज़ांची के फराइज़ भी अंजाम दे रहे हैं। मीडिया प्रभारी मौलाना हाफ़िज़ शाहिद बाक़री ने बताया कि पटकापुर में क़ौमी मसाइल के हल के लिए एक अहम मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमें उलमा, ख़ुतबा और ज़ाकिरीन ने शिरकत की। इस रूहानी और फ़िक्री बैठक की शुरुआत तिलावत-ए-क़ुरआन मजीद से हुई, जो मौलाना अज़हर अब्बास नक़वी साहब (नायब सदर) ने की।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!क़ौमी मसाइल के हल के लिए बुलाई गई मीटिंग में सबसे पहले सेक्रेटरी मौलाना अलमदार हुसैन साहब ने कुछ अहम मुद्दों पर रोशनी डाली और ज़ोर दिया कि ग़लतफ़हमियों को हर मुमकिन तरीक़े से दूर किया जाए और मुश्तरकात पर इत्तेहाद क़ायम रखते हुए ख़ुतबा के साथ मिलकर काम किया जाए।
इस इजलास में ख़ुतबा की जानिब से दर्ज़-ए-ज़ैल नुक्तात पेश किए गए:
- इसाले सवाब की मजलिसों में पहले क़ुरआन ख़्वानी की रवायत थी, जो अब ख़त्म हो गई है, इसको दुबारा ज़िंदा किया जाए।
- शादियों में फ़ुज़ूलख़र्ची से बचा जाए।
- उलमा के साथ-साथ ज़ाकिरीन को भी एक-दूसरे से जुड़कर काम करना चाहिए।
- माज़ी की तल्ख़ियों को दरगुज़र करते हुए हाल को बेहतर बनाया जाए।
- क़दम-ब-क़दम मुत्तहिद होकर काम करना वक़्त की अहम ज़रूरत है।
- उलमा व ज़ाकिरीन को हमेशा सच बोलना चाहिए, चाहे किसी को बुरा लगे या अच्छा।
- जब उलमा मुत्तहिद हो जाएंगे, तो तमाम मसाइल का हल मुमकिन हो जाएगा।
मीटिंग के आख़िर में शिया उलमा बोर्ड कानपुर के सदर मौलाना नसीम अब्बास साहब ने तमाम हाज़िरीन का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ज़िक्र-ए-अहले बैत की तौफ़ीक़ हर किसी को नहीं मिलती, बल्कि यह ज़ाकिरीन पर अहले बैत का ख़ास लुत्फ़ व करम है।
इख़तितामी दुआ हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सतार साहब ने कराई।अगली मीटिंग में इन नुक्तों पर मजीद तफ़्सीली गुफ़्तगू की जाएगी।