कानपुर (मोहम्मद उस्मान कुरैशी) जामिया अशरफुल बनात के खादीजतुल कुबरा हाल में आल इण्डिया गरीब नवाज़ कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मो हाशिम अशरफी इमाम की सरपरस्ती में आयोजित सालाना अहले बैत कांफ्रेंस में आलिमा सय्यदा उम्मे हबीबा क़ादरी (फतेहपुर) ने कहा अहले बैत का मकाम व मर्तबा बहुत बुलंद है उन का एहतराम व आदर हर मोमिन पर ज़रूरी है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!खुद हुज़ूर ने फ़रमाया हज़रत अली व फातमा ,हसन व हुसैन रदी अल्लाहु अन्हुम अहले बैत हैं। आलिम सय्य्दा उम्मे सलमा (फतेहपुर) ने कहा तारीख़े इस्लाम अहले बैत की कुरबानियां और उनकी खिदमात के ज़िक्र के बगैर मुकम्मल नहीं हो सकती।
इस्लाम को फैलाने मैं अहले बैत और अजवाजे मुताह्हिरात (हुज़ूर कि पत्नियाँ ) का बड़ा अहम रोल है। उनकी क़ुरबानी, परहेज़गारी, इबादत पूरी उम्मत के लिए नमूना है। अहले बैत व अजवाजे मुताह्हिरात (हुज़ूर कि पत्नियाँ ) की पूरी ज़िन्दगी इस्लाम कि तालीमात पर अमल करने और फैलाने में गुज़री।
अहले बैत व अजवाजे मुताह्हिरात (हुज़ूर कि पत्नियाँ ) का फिक़ह व हदीस में बहुत बुलन्द मर्तबा है। हुज़ूर के पर्दा फरमाने के बाद सहाबा तमाम मसअलों में उन्हीं कि तरफ जाते और उनके मशवरों पर चलते थे।
हज़रत आयशा रज़ील्लाहू अन्हा से 2200 हदीसें और हज़रत उम्मे सलमा रज़ील्लाहू अन्हा से 378 हदीसें हज़रत मैमुना रज़ील्लाहू अन्हा से 75 हज़रत उम्मे हबीबा रज़ील्लाहू अन्हा से 65 हज़रत हफ्सा रज़ील्लाहू अन्हा 60 हदीसें रिवायत हुईं।
आज माँ और बहनों के अन्दर फैशन, बेहयाई और बेपर्दगी तेज़ी के साथ फैलती जा रही है लिहाज़ा मुस्लिम महिलाओं को चाहिए वो अजवाजे मुताह्हिरात (हुज़ूर कि पत्नियाँ ) और हज़रत फातमा रज़ील्लाहू अन्हा कि ज़िन्दगी को अपना रोल आइडियल बनायें और दीन सीखें और दीन कि राह पर चलें ताकि फैशन, बेहयाई, और बेपर्दगी का खात्मा हो और एक अच्छा समाज बन सके।
आलिमा शिफा फ़ातिमा (फर्खाबाद) ने पुरजोर अपील की कि औरतें हजरत खातूने जन्नत की कनीज़ और मर्द हजरते मौला अली के गुलाम बनकर ज़िन्दगी गुजारें तो शादी शुदा जीवन में आने वाली कडवाहट, नाइत्तेफ़ाकी और घरेलु झगड़ों का खात्मा होगा और सुकून वाली ज़िन्दगी गुजरेगी।
आलिमा सुगरा बी बी अशरफी ने कहा अहले बैत को पूरी कायनात पर फ़ज़ीलत हासिल है और उनकी अस्ल और बुनयाद पैगम्बरे इस्लाम हैं। उन्होंने कहा अहले बैत हमारे लिए मशअले राह हैं हदीस में मैं तुम्हारे दरमियान दो भारी चीज़ें छोड़े जा रहा हूँ पहला कुरान दूसरा अहले बैत।
अहले बैत कांफ्रेंस के अवसर पर 21 छात्राएं जिन में से 11 आलिमा 10 कारिया पढ़ कर फारिग हुईं जिन्हें यास्मीन बानो ज़ौजा हुज़ूर गाज़ी ए इस्लाम,हज्जिन कैसर जहाँ नूरी ,जौजा रफीक मुंशी सदर,नफीस आरा वालिदा सय्यद खुरशीद आलम वालिदा मोहम्मद शाहज़ाद व आलिमात के हाथों से चादरे फजीलत व रिदा ए किरत एवं सनद से नवाज़ा गया।
ज़िया फातिमा, क़रीना फातिमा, बेबी नाज़, अक्सा जिया ने भी तकरीरें कीं उरूज फातिमा ने इंग्लिश में तक़रीर की। इस से पूर्व कुरान मजीद की तिलावत से कारिया सना सिद्दीक़ी ने जलसे का आग़ाज़ किया। नूर सबा ने संचालन किया।
आलिमा अफ्शार नीम, आलिमा किस्मतुन्निसा ,हयात सिद्दिकी, ज़ेबा फातिमा, रुखसार फ़ातिमा, महकशां फारूकी,तमन्ना फ़ातिमा, फाहिमा अशरफी, कुलसुम फातिमा, अरबिया फातिमा, सानिया प्रवीन, शहरून्निसा, कुदसिया फातिमा, दानिश्ता रिज़वी, जमाते सालिसा, जमाते सादसा समेत जामिया की छात्राओं ने हम्द, नात, मन्क़बत व नज़्म के नज़राने पेश किये। आखिर में सलाम और मुल्क में अमान के लिए दुआ पर जलसा ख़त्म हुआ।