सोशल मीडिया पर धार्मिक प्रचार के लिए बनाई गई नकली कहानी की पड़ताल, NASA के तथ्यों से हुआ खुलासा
नई दिल्ली: सोशल मीडिया और कुछ व्हाट्सएप ग्रुप्स में एक लेख तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अपने हालिया मिशन के दौरान अंतरिक्ष में फंसने पर रामायण और भगवद्गीता पढ़ी और उन्हें ‘चमत्कारिक’ अनुभव हुए। हालाँकि, तथ्य-जांच से पता चलता है कि यह पूरी कहानी काल्पनिक और गलत है, जिसे खासतौर पर 2024-2025 में धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए बनाया गया है।
हमने इस दावे की पड़ताल NASA की आधिकारिक वेबसाइट, विश्वसनीय समाचार पत्रों (द हिंदू, टाइम्स ऑफ इंडिया) और प्रमुख फैक्ट-चेकिंग संस्थाओं (Vishvas News, BOOM, Factly) के आधार पर की है। सभी साक्ष्य इस झूठी कहानी का खंडन करते हैं।
वायरल हो रहे झूठे दावे और उनकी सच्चाई
वायरल लेख में कई असंभव और अतिरंजित दावे किए गए हैं। यहाँ उनकी मुख्य खामियों की सच्चाई बताई गई है:
- “अंतरिक्ष में फंसना और मौत का सामना”: दावा किया गया कि सुनीता विलियम्स का भोजन-पानी खत्म हो गया था और उन्होंने चैत्र नवरात्रि के उपवास से खुद को बचाया।
- सच्चाई: उनका बोइंग स्टारलाइनर मिशन तकनीकी खराबी के कारण विलंब से लौटा था, लेकिन ISS पर जीवन-रक्षक संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। NASA का नियमित सप्लाई चक्र चल रहा था। उपवास का दावा पूरी तरह से झूठा है।
- “बाइबल से ऊबकर रामायण-गीता पढ़ना”: कहानी में कहा गया है कि उन्होंने बाइबल छोड़कर गीता पढ़ी और उसमें वर्णित भ्रूण विज्ञान, समुद्र आदि से हैरान रह गईं।
- सच्चाई: सुनीता विलियम्स ने अपने पिछले मिशनों (2006, 2012) में गीता और उपनिषद ले जाने का जिक्र किया था, जो उनकी भारतीय विरासत के प्रति सम्मान दर्शाता है। लेकिन हालिया मिशन में ऐसा कोई ‘धार्मिक रूपांतरण’ या बयान नहीं दिया गया। यह दावा पुरानी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
- “रहस्यमयी आवाजें और दिव्य दृश्य”: लेख में मंत्रों की आवाजें सुनने, सूर्य को ‘कीचड़ के तालाब’ जैसा देखने और दुर्गा माँ जैसी आकृति देखने का दावा किया गया है।
- सच्चाई: NASA या किसी भी विश्वसनीय स्रोत ने ISS पर इस तरह की कोई अलौकिक घटना दर्ज नहीं की है। यह कल्पना मनगढ़ंत और वैज्ञानिक तथ्यों के विपरीत है।
- “एलन मस्क को फोन करना और NASA में वेद विभाग”: कहानी के अनुसार, उन्होंने एलन मस्क को फोन कर गीता के बारे में बताया और NASA में वेदों पर शोध विभाग खोलने का प्रस्ताव रखा।
- सच्चाई: ISS से संचार सीधे NASA के माध्यम से होता है, निजी फोन कॉल संभव नहीं हैं। NASA एक वैज्ञानिक संगठन है, जो धार्मिक ग्रंथों पर शोध विभाग नहीं बनाता। यह दावा हास्यास्पद और बिल्कुल गलत है।
क्यों फैलाई जा रही है यह फेक खबर?
फैक्ट-चेकर्स के अनुसार, इस तरह की कहानियाँ एक खास एजेंडे के तहत बनाई जाती हैं:
- धार्मिक प्रचार: सनातन धर्म (हिंदू धर्म) को वैज्ञानिक रूप से ‘श्रेष्ठ’ साबित करने का झूठा नैरेटिव बनाना।
- भावनाओं के साथ खिलवाड़: एक प्रसिद्ध और सम्मानित भारतीय मूल की व्यक्ति का नाम इस्तेमाल करके लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काना और क्लिकबेट के जरिए ट्रैफिक बढ़ाना।
सच क्या है?
- सुनीता विलियम्स और उनके सहयात्री बुच विलमोर जून 2024 में ISS गए थे और तकनीकी देरी के बाद मार्च 2025 में सुरक्षित लौटे।
- उन्होंने कभी भी अंतरिक्ष में ऐसे कोई चमत्कारिक अनुभव होने या धार्मिक ग्रंथों से ‘शक्ति’ मिलने का दावा नहीं किया।
- वे एक समर्पित वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री हैं, जो अपनी भारतीय विरासत का सम्मान करती हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल झूठे प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
सलाह: ऑनलाइन वायरल हो रही ऐसी अतिशयोक्तिपूर्ण कहानियों पर विश्वास करने से पहले हमेशा विश्वसनीय समाचार स्रोतों या फैक्ट-चेकिंग वेबसाइटों से सत्यापन अवश्य कर लें।