यादे हुसैन में बड़े अदब व एहतराम के साथ उठाया गया 3 मोहर्रम पर आशिक अली का जुलूस अलम शहर के पाँच हजार इमामबाड़ों में अकीदत के साथ मातम और मजलिसे हुसैन का सिलसिला जारी
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कानपुर। मोहम्मद उस्मान कुरैशी। मोहर्रम की तीन तारीख पर फूलवाली गली इमामबाड़ा सादिक अली रजबी रोड से आशिक अली का 112साल से उठने वाला कदीमी अलम का जुलूस यादे हुसैन में बड़े एहतेराम व अकीदत से आशिक़ अली, इमरान अली के नेतृत्व में शाम 3 बजे उठाया गया।
यह जुलूस इफितखाराबाद, टुकनियापुरवा, इकबाल लाइब्रेरी, बांसमण्डी होता हुआ बेकनगंज, नई सड़क से परेड, यतीमखाना रोड, कंघी मोहाल, नाला रोड, मोहम्मद अली पार्क, से गुजरता हुआ मूलगंज, तलाक महल से दादामियां चौराहा होता हुआ हीरामन का पुरवा करीब दस बजे रात को पहुंचा। यहा से वापस सादिक शाह बाबा मज़ार फूलवाली गली मे पहुंचकर समाप्त हुआ।
जुलूस में घोड़े व ऊंट मोहर्रमी रंगों से सजे हुए चल रहे थे जिन पर बच्चे नारे-ए-तकबीर, नारे-ए-रिसालत, नारे-ए-हुसैनी, नारे-ए-हैदरी के नारे लगा रहे थे। दर्जनों अलम हरे लाल पटकों के साथ अकीदतमन्द लेकर चल रहे थे। करीब 50 इस्लामी परचम जुलूस की शान बढ़ा रहे थे।
लाउडस्पीकर के द्वारा नोहा और नात पाक के रिकार्ड बजाये जा रहे थे। जुलूस में शामिल बैण्ड मातमी धुनों से नवासये रसूले आजम हज़रत इमाम हुसैन और कर्बला के 72 शहीदों को खिराजे अकीदत पेश कर रहे थे। जुलूस में या हुसैन के नारे लगाये जा रहे थे। जुलूस का जगह-जगह रोककर इस्तकबाल किया जा रहा था। पूरे रास्ते भर शीरीनी का तर्बरूक बांटा जा रहा था। चाय और पानी भी वितरित किया जा रहा था। अलम के दर्शन के लिये हजारों लोग दोनों ओर खड़े थे। पुलिस प्रशासन भी बड़ी संख्या में सर्तक था।
दूसरी ओर शिया और सुन्नी समुदाय के इमामबाड़ों, मस्जिदों और घरों में मजलिसे हुसैन व जिकरे शहादतैन और मातम शहीदाने कर्बला का सिलसिला जारी है। जिसमें रोशन नगर, कर्नलगंज, पटकापुर, जूही, सकेरा स्टेट, के०डी०ए० कालोनी, जाजमऊ, ग्वालटोली मकबरा, चमनगंज, बेकनगंज, हीरामन का पुरवा आदि में सुबह 8 बजे से रात 12 बजे तक मजलिस का सिलसिला जारी हैं इमाम बारगाह आगामीर मकबरा ग्वालटोली की मजलिसे अज़ा को सम्बोधित करते हुए लखनऊ के मौलाना ज़हीर अब्बास साहब ने जनाबे जैनब के दोनों बेटों हज़रत औन और मोहम्मद की कर्बला के मैदान में शहादत बयान की।
उन्होंने कहा कि पैगम्बरे इस्लाम (स०अ०) को कदम-कदम पर इस्लाम की तबलींग करने के दौरान इस्लाम दुश्मन ताकतों का सामना करना पड़ा था लेकिन कर्बला के मैदान में एक तरफ यजीद झूठी ताकतों की नुमाइन्दगी कर रहा था वहीं हज़रत इमाम हुसैन के हाथों में इस्लाम का परचम था। मैदाने कर्बला में यजीद की इस्लाम दुश्मन योजनाओं को पराजित करके हज़रत हुसैन ने अपनी अजीम कुर्बानी पेश की जिससे सच्चाई इस्लाम और मानवता का झण्डा हमेशा के लिये बुलन्द कर दिया।
शहर की मजलिसों में मिर्जा शहनशाह हुसैन नज़रे आलम, डा० जुल्फिकार अली रिजवी, ताज कानपुरी, आसिफ अब्यास, पप्पू मिर्जा, नवाब मुमताज, डॉ एयाज़ हैदर रिज़वी,नकी हैदर, एमन रिज़वी, मुन्तज़िर हसन,मिर्जा हैदर रजा, कुमैल नमाजी, अफसर हुसैन, एहसान हुसैन ,जवाज़ हैदर रिज़वी आदि मौजूद थे।