हिंदी भाषा की समृद्धि और संरक्षण पर वक्ताओं ने डाला प्रकाश
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बाराबंकी। लखनऊ। अबू शहमा अंसारी। मुमताज़ पी.जी. कॉलेज में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एक भव्य और गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर नसीम अहमद खान ने की, जबकि संचालन हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ आल अहमद ने किया।डॉ आल अहमद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, पहचान और आत्मा की अभिव्यक्ति है। यह वह सेतु है, जो देश के कोने-कोने को एक सूत्र में बांधता है। आज जब वैश्वीकरण की लहर है, तब हिंदी का संरक्षण और प्रचार अत्यंत आवश्यक हो गया है।
प्राचार्य प्रोफेसर नसीम अहमद खान ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हिंदी दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह आत्ममंथन का अवसर है कि हम हिंदी के प्रति कितने जागरूक हैं। हमें गर्व होना चाहिए कि हमारे पास विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। संस्थान स्तर पर हमें इसे और अधिक व्यवहारिक बनाना होगा।
प्रॉक्टर प्रोफेसर सलमान खान नदवी ने कहा कि हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार तभी संभव है जब हम इसे अपने दैनिक जीवन में आत्मसात करें। हमें यह समझना होगा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि विचारों और संस्कारों का संवाहक भी है।
कॉमर्स विभागाध्यक्ष डॉ शाहीन जमाल ने कहा कि “व्यवसाय और व्यापार के क्षेत्र में हिंदी की महत्ता दिन-ब-दिन बढ़ रही है। यदि हम हिंदी में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दें, तो देश के विकास को नया आयाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि भाषा दिखावे की वस्तु नहीं है बल्कि उसको आत्मसात करते हुए उसका व्यवहार करना आवश्यक है।
राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ मोहम्मद इमरान खान ने अपने विचार रखते हुए कहा कि राजनीतिक विमर्श में हिंदी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी हिंदी ने जनमानस को जोड़ने का कार्य किया था। आज आवश्यकता है कि हम हिंदी में राजनीति और प्रशासनिक शब्दावली को सशक्त करें।
अंग्रेज़ी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शाज़िया सिद्दीकी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि हिंदी और अंग्रेज़ी का संबंध प्रतिस्पर्धा का नहीं, बल्कि सह-अस्तित्व का है। हमें भाषाएं सीखते रहना चाहिए क्योंकि सीखने की सकारात्मक क्षमता सभी में हैं,साहित्य पढ़ना बहुत ज़रूरी है विशेषत हमें भाषाओं में संतुलन बनाए रखना चाहिए, जिससे विद्यार्थी बहुभाषिक क्षमता विकसित कर सकें।
इस कार्यक्रम में उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ परवीन शुजाअत, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ मदनी अंसारी, समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ मोहम्मद हबीब, डॉ शाद अहमद, डॉ लियाक़त अली समेत महाविद्यालय के अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहे। साथ ही बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने कविता, भाषण, निबंध आदि के माध्यम से हिंदी भाषा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें डॉ आल अहमद ने सभी अतिथियों, सहभागियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया।
हिंदी दिवस का यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम रहा, बल्कि यह भाषा के प्रति चेतना जाग्रत करने का एक सशक्त माध्यम भी बना। मुमताज़ पी.जी. कॉलेज में आयोजित यह कार्यक्रम हिंदी भाषा के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक प्रेरणादायक कदम के रूप में चिह्नित किया गया।