- जगह- जगह मिठाई तकसीम की गयी तथा लंगर का एहतिमाम किया गया,
- मस्जिदों, इमाम बारगाहों, इमाम बारगाह, कर्बलाओं और खानकाहों में मौलूदे काबा का जश्न मनाया गया
कानपुर( मोहम्मद उस्मान कुरैशी) आल इण्डिया मोहम्मदी वेल्फेयर मिशन के राष्ट्रीय महामंत्री डा. जुल्फिकार अली रिजवी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि 13 रजब को हज़रत अली का जन्म दिवस मनाया गया जिसमें मस्जिद आजम अली खां कर्बला की महफिल को मौलाना नुसरत आबिदी ने खिताब किया जिस में उन्होंने हजरत अली के जीवन पर प्रकाश डाला।
दूसरी तरफ फूलवाली गली में मौलाना हुसैन किबला ने खिताब करते हुये मौलाऐ कायनात के नक्शे कदम पर चलने की तलकीन की। शोरा-ए-कराम ने बारगाहे मौला अली में खिराजे अकीदत पेश की। इसी तरह सिविल लाइंस शमीम हैदर हॉल,की महफ़िल को मौलाना शाहिद बाक़री ने संबोधित किया सकेरा स्टेट, कुरसवां पटकापुर, जूही सफेद कालोनी में भी शानदार महफिलों का एहतिमाम किया गया

जिसमें शोरा-ए-कराम ने हजरत अली शेरे खुदा की बारगाह में नजराने अकीदत पेश किया। दूसरी तरफ ग्वालटोली मकबरा में हाजी मुंसिफ़ अली रिज़वी मेमोरियल सोसाइटी के तत्वाधान में महफिले मिलाद का एहतेमाम किया गया जिसमें फिरोज कानपुरी,हसन महमूदाबादी,आमिर रिज़वी,सलमान कानपुरी,सिकदर सीतापुरी ने बारगाहे मौला अली में अकीदत का नजराना पेश किया।
मुख्य वक्ता मोहम्मदी वेलफेयर मिशन के राष्ट्रीय महामंत्री डा.जुल्फिकार अली रिजवी ने महफिल को खिताब करते हुये कहा कि हजरत अली आले इब्राहीम में कुरेश की नस्ल से बनी हाशिम के विशेष घराने में अब्दुल मुत्तलिब के पुत्र अबुतालिब के चश्मो चिराग थे।
आपकी वालदा फातिमा बिन्ते असद हाशमी खानदान की बाइज़्ज़त खातून थीं जिन्हें हज़रत पैगम्बर ए खुदा अपनी माँ की तरह समझते थे। डा. रिजवी ने आगे कहा कि पैगम्बरे खुदा की उम्र 30 वर्ष की थी जब खाना ए काबा जैसे पवित्र मुकाम पर 13 रजब को हजरत अली की विलादत हुई।
उन्होंने आगे कहा कि अली की परवरिश पैगम्बर ए इस्लाम ने की। हजरत अली जब 10 बरस की उम्र को पहुँचे। तब पैगम्बर ए इस्लाम ने अपनी रिसालत का एलान किया। बच्चों में हजरत अली सबसे पहले पैगम्बरे ए इस्लाम पर इमान लाये।उन्होंने आगे कहा कि हजरत अली की सखावत का यह आलम था कि आप नमाज़ में थे तभी फकीर के मांगने पर हाथ बढ़ा दिया ताकि फ़कीर अंगूठी उतार ले।
इसी तरह जब खिलाफत का जमाना आया तो उस वक्त एक सायल के मांगने पर अशरफियों से लदे 40 ऊँट फ़कीर के हवाले कर दिया। इसी तरह बैतुल माल से गरीबों, बेबसों को 500-500 दीनार एक लाख लोगों को बांटने का काम किया था। इस तरह के वाकयात से तारीख भरी पड़ी है।
अन्त में हजरत अली को की बारगाह में नजराने अकीदत पेश किया गया। एक और प्रोग्राम में शिया युवा यूनिट द्वारा हरे झण्डों के साथ फूल बाग से बड़ी कर्बला तक जुलूस निकाला गया। जिसकी अगुवाई नायब आलम ,शबाब हुसैन रिज़वी अमिताभ बाजपेयी, मोहम्मद हसन रूमी,कबीर ज़ैदी, काशिफ नक़वी (मुतवल्ली बड़ी कर्बला नवाब गंज)सआदत अली रिज़वी, आसिफ अब्बास, डॉक्टर ज़ुल्फिकार अली रिज़वी, अली आला,दानिश नवाब जनाब रईस, इंतिखाब आलम, हाजी मुन्ना नायाब आलम, शहाब रिज़वी, दानिश रिज़वी अबुज़र काज़मी कर रहे थे।
उपरोक्त महफिलों में मौलाना बशीर हैदर,पप्पू मिर्जा, हुसैनी फेडरेशन के अध्यक्ष इसरार हुसैन जैदी, मुन्तजिर हसन, रईसुल हसन रिजवी, आसिफ अली रिजवी, मौलाना तवस्सर हुसैन, जफर हुसैन बॉबी, अनवार अहमद सज्जादी, नजरे आलम जाफरी, ऐमन रिज़वी, अयाज़ हैदर रिज़वी फुरकान हैदर रिज़वी के अलावा सभी अन्जुमनों के अधिकांश सदस्य मौजूद रहे। इसके अलावा रेव 3 चौराहे पर हुसैनी जवानों ने मौला अली के जन्म दिवस पर कैम्प लगाकर शर्बत वितरण किया।नवाबगंज करबला में काशिफ़ नक़वी की तरफ़ से लंगर का आयोजन किया गया