कानपुर।मोहम्मद उस्मान कुरैशी। विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत आज भारतीय बाल रोग अकादमी द्वारा बाल रोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में स्तनपान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 42 एम.डी. छात्रों ने सक्रिय सहभागिता की।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!कार्यक्रम का संचालन डॉ. शैलेन्द्र गौतम, डॉ. ए. के. आर्य, डॉ. अमितेश यादव एवं डॉ. नेहा अग्रवाल द्वारा किया गया।
डॉ. शैलेन्द्र गौतम ने बताया कि मां का दूध नवजात शिशु के लिए अमृत तुल्य होता है। इसे जन्म के पहले घंटे में ही पिलाना प्रारंभ कर देना चाहिए एवं पहले छह माह तक शिशु को केवल मां का दूध ही दिया जाना चाहिए — बिना किसी अन्य आहार, पानी या घोल के। छह माह के उपरांत पूरक आहार की शुरुआत की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह प्रत्येक वर्ष 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत अगस्त 1990 में हुई थी और इसका मुख्य उद्देश्य स्तनपान को प्रोत्साहित कर शिशुओं के पोषण और स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है।
डॉ. ए. के. आर्य ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के आंकड़ों को साझा करते हुए बताया कि भारत में केवल 42% माताएं ही जन्म के पहले घंटे में स्तनपान प्रारंभ करती हैं और मात्र 62% माताएं ही शिशु को छह माह तक लगातार स्तनपान कराती हैं।
डॉ. अमितेश यादव ने बताया कि जन्म के बाद पहले 48 घंटों में निकलने वाला गाढ़ा पीला दूध, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है, नवजात के लिए पहले टीकाकरण के समान कार्य करता है एवं उसे विभिन्न संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि मां का दूध पीने वाले बच्चों में डिब्बाबंद दूध की तुलना में डायरिया की संभावना 15 गुना एवं निमोनिया की संभावना 4 गुना कम होती है, साथ ही मृत्यु दर भी लगभग 3 गुना तक कम हो जाती है। दीर्घकालिक लाभों में डायबिटीज, मोटापा, उच्च रक्तचाप तथा एलर्जिक बीमारियों की संभावना कम हो जाती है, एवं ऐसे बच्चों का बौद्धिक स्तर (IQ) भी अपेक्षाकृत अधिक होता है।
डॉ. नेहा अग्रवाल ने स्तनपान की विभिन्न स्थितियों (पोज़िशन्स) के बारे में बताया एवं यह भी समझाया कि सफल स्तनपान के लिए परिवार के प्रत्येक सदस्य का सहयोग और प्रोत्साहन अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम में पीजी स्तनपान क्विज का भी आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. बिदिशा ने प्रथम स्थान तथा डॉ. गौरी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
इसी श्रृंखला में दूसरा कार्यक्रम रामा मेडिकल कॉलेज, मांधाना के सभागार में आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 50 नर्सिंग छात्रों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राज तिलक एवं डॉ. वी. के. टंडन द्वारा किया गया।
डॉ. राज तिलक ने स्तनपान के लाभों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं अंडाशय के कैंसर की संभावना काफी कम हो जाती है, साथ ही यह गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए वजन को कम करने में भी सहायक सिद्ध होता है।
डॉ. वी. के. टंडन ने नर्सिंग छात्राओं को स्तनपान की विधियों एवं इस वर्ष की थीम — “Prioritize Breastfeeding: Create Sustainable Support Systems” के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
इसी क्रम में तीसरा कार्यक्रम डॉ. अनुराग भारती क्लिनिक, शास्त्री नगर में आयोजित किया गया, जिसमें नर्सिंग स्टाफ को डॉ. अनुराग भारती एवं डॉ. रूपम भारती द्वारा स्तनपान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गईं।