सर सैयद अहमद ख़ान राष्ट्रीय एकता के प्रतीक थे… महबूब सईद हारिस
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गोरखपुर।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक और आधुनिक शिक्षा के समर्थक सर सैयद अहमद खाँ की जयंती को सर सैयद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके अंतर्गत साजिद अली मेमोरियल कमेटी के तत्वाधान में मुहम्मद हामिद अली हाल अग़ोश ए हमीदिया, घासी कटरा गोरखपुर ने “राष्ट्रीय एकता की पैरोकार” शीर्षक से एक परिचर्चा का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध उर्दू विद्वान डॉ. दरख्शां ताजवर ने किया।
इस अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र इंजीनियर शम्स अनवर, प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. रहमत अली, प्रोफेसर सैयद ख़ालिद हसन, रिज़वानुल हक, पत्रकार मुहम्मद आतिफ और समीना अहमद को सर सैयद सॉलिडेरिटी अवार्ड से सम्मानित किया गया।
मदरसा हमीदिया के छात्र मुहम्मद हसन ने क़ुरान पाक की तिलावत से कार्यक्रम की शुरुआत की।
इस अवसर पर साजिद अली मेमोरियल कमेटी के सचिव महबूब सईद हारिस ने कहा कि सर सैयद अहमद ख़ान जैसी शख्सियतें रोज़-रोज़ पैदा नहीं होतीं। सर सैयद अहमद ख़ान ने ऐसे कठिन दौर में इल्म की शमा जलाया जब देश मुश्किल दौर से गुज़र रहा था।
उन्होंने कहा कि सर सैयद अहमद खान ने महसूस किया था कि शिक्षा के बिना भारत में मुस्लिम राष्ट्र का अस्तित्व संभव नहीं है और शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी बहुत ज़रूरी है। उन्होंने आधुनिक शिक्षा का समर्थन किया और इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की।
इंजीनियर शम्स ने बताया कि अलीगढ़ में शिक्षा पूरी करने के बाद जब वे गोरखपुर आये तो उन्होंने गोरखपुर में अलीगढ़ ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन की स्थापना की और तब से लेकर आज तक अलीगढ़ ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन सर सैयद दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाता आ रहा है।
प्रोफेसर सैयद खालिद हसन ने कहा है कि सर सैयद अहमद खान एक महान शिक्षाविद्, सुधारक और दूरदर्शी थे। वे मुसलमानों की कम शिक्षा के प्रति हमेशा चिंतित रहते थे। उनके आंदोलन के माध्यम से आधुनिक शिक्षा में क्रांति आई। एमएओ कॉलेज, जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना।
समीना अहमद ने कहा कि सर सैयद की शायरी, खासकर महिला शिक्षा के क्षेत्र में, अलीगढ़ मुस्लिम इंडस्ट्री के पूर्व छात्रों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। अलीगढ़ से निकले छात्र दुनिया भर में सर सैयद का नाम रोशन कर रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन मुहम्मद फ़र्रूख़ जमाल ने किया। इस मौके पर मुहम्मद इफ्राहीम, डा. ताहिर अली, डा. सलमा बानो, डा. रुश्दा कुदसिया, डा. जेबा, एहतेशाम अफसर, डा. मुहम्मद अशरफ, आसिफ सईद ,सैयद वलीउल इक़बाल, डा.अशफाक अहमद उमर, फरहान काजमी आदि उपस्थित रहे।