कानपुर। मोहम्मद उस्मान कुरैशी। आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, कानपुर शाखा द्वारा एक विशेष वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के बाल रोग विभाग में किया गया। कार्यक्रम का आयोजन बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु पर्यावरण संरक्षण की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ डॉक्टरों में शामिल थे:
डॉ. रोली श्रीवास्तव, अध्यक्ष, एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, कानपुर शाखा
डॉ. अमितेश यादव, सचिव
डॉ. शैलेन्द्र गौतम, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विभाग
डॉ. राज तिलक, डॉ. वी.एन. त्रिपाठी, एवं डॉ. नेहा अग्रवाल
पर्यावरणीय प्रदूषण और बच्चों के स्वास्थ्य पर उसका गहरा प्रभाव
- वायु प्रदूषण:
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/PM10) जैसे हानिकारक कण बच्चों के फेफड़ों के विकास को धीमा करते हैं। इससे अस्थमा, बार-बार खांसी-जुकाम, निमोनिया और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। अध्ययन बताते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले बच्चों की फेफड़ों की कार्यक्षमता सामान्य से 20-30% तक कम हो सकती है। - जल प्रदूषण:
सीसा, आर्सेनिक, और प्लास्टिक माइक्रोपार्टिकल्स से दूषित जल के सेवन से बच्चों में विकास रुकना, पेट के रोग, त्वचा की एलर्जी और यहां तक कि मानसिक विकास में बाधा जैसे दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं। - ध्वनि प्रदूषण:
तेज आवाजें बच्चों के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं। नींद में बाधा, सिरदर्द, पढ़ाई में ध्यान न लगना और लंबे समय में सुनने की क्षमता प्रभावित होना आम शिकायतें हैं। - मानसिक एवं भावनात्मक प्रभाव:
प्रदूषित वातावरण में रहने वाले बच्चों में चिड़चिड़ापन, अवसाद, एकाग्रता की कमी और सामाजिक अलगाव की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। पर्यावरणीय तनाव मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है, जिससे भविष्य में न्यूरोलॉजिकल विकारों का खतरा बढ़ जाता है। - इनडोर प्रदूषण:
घर के भीतर की हवा भी बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती है – खासकर अगर उसमें धुआं, धूल, कीटनाशक या एयर फ्रेशनर्स का अत्यधिक प्रयोग हो। इससे एलर्जी, सांस की तकलीफ और आंखों की जलन आम हो जाती है।
डॉ. रोली श्रीवास्तव ने कहा, “हमारे बच्चों का स्वास्थ्य हमारे पर्यावरण से सीधा जुड़ा है। हर पेड़ जो आज लगाया गया, आने वाले वर्षों में हजारों सांसें बचाएगा। हमें इस धरती को बच्चों के रहने लायक बनाना है – साफ हवा, शुद्ध जल और हरियाली के माध्यम से।”
कार्यक्रम में बच्चों की भागीदारी, पोस्टर प्रतियोगिता और वृक्षारोपण जैसे गतिविधियों से एक सकारात्मक संदेश दिया गया कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा।