कानपुर। मोहम्मद उस्मान कुरैशी। विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस के अवसर पर बाल रोग अकादमी कानपुर द्वारा चित्रकला प्रतियोगिता व जागरूकता कार्यक्रम डॉ रोली मोहन की क्लिनिक हर्ष नगर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना, न्यूरोडायवर्सिटी को प्रोत्साहित करना तथा ऐसे बच्चों के लिए समावेशी और समान अवसर उपलब्ध कराना था।
इस वर्ष के विश्व ऑटिज़्म दिवस की थीम “एम्पावरिंग ऑटिस्टिक वॉइसेस” को सशक्त बनाना रखी गई थी, जबकि इसका मुख्य स्लोगन “डिफरेंट, नॉट लेस” (अलग, लेकिन कम नहीं) था।
कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष डॉ रोली मोहन श्रीवास्तव व डॉक्टर गरिमा श्रीवास्तव ने किया।डॉ रोली मोहन श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में बताया कि भारत में ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का प्रसार लगभग 1 in 86 है। उन्होंने ऑटिज़्म के लक्षणों के बारे में विस्तार से चर्चा की और इस विषय में समाज में अधिक जागरूकता लाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने बताया कि ऑटिज़्म से प्रभावित बच्चों को प्रारंभिक अवस्था में सही दिशा में मार्गदर्शन और आवश्यक उपचार प्रदान कर समाज का एक अभिन्न हिस्सा बनाया जा सकता है।
डॉ. गरिमा श्रीवास्तव ने श्रीवास्तव ने बताया कि ऑटिज़्म का शीघ्र निदान एवं शीघ्र हस्तक्षेप अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने उपस्थित अभिभावकों को ऑटिज़्म से प्रभावित बच्चों के उपचार और देखभाल से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं।
उन्होंने यह भी बताया कि यदि बच्चों को सही समय पर उचित चिकित्सा और समर्थन मिले, तो वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं और समाज में अपना योगदान दे सकते हैं।
अकादमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स कानपुर के सचिव डॉ. अमितेश यादव ने इस वर्ष के थीम और स्लोगन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि समाज में इन बच्चों को विशेष समझ की जरूरत होती है और हमें उन्हें “अलग” नहीं, बल्कि “विशेष” मानकर उनके समावेश के लिए कार्य करना चाहिए।
कार्यक्रम में लगभग 20 बच्चों ने भाग लिया व प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें विजेता बच्चों को पुरस्कार दिया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉक्टर अनुराग भारती, डॉ अम्बरीष गुप्ता डॉक्टर निधिका पाण्डेय व बच्चों के अभिभावकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और विशेषज्ञों से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अभिभावकों ने अपने अनुभव साझा किए और ऑटिज़्म से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
इस अवसर पर विशेषज्ञों ने ऑटिज़्म से प्रभावित बच्चों के लिए विभिन्न थेरेपी, शैक्षणिक सहयोग, सामाजिक समावेशन और उनके उज्जवल भविष्य के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर भी चर्चा की।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को जागरूकता बढ़ाने वाले संदेशों से युक्त साहित्य एवं मार्गदर्शन सामग्री वितरित की गई। उपस्थित अभिभावकों ने इस आयोजन की सराहना की और इसे एक बेहद उपयोगी व जानकारीपूर्ण पहल बताया।