कानपुर। मोहम्मद उस्मान कुरैशी। 9 मार्च को माहे स्याम हेल्प लाइन में रोज़े की हालत में बुरी बातों का हुक्म है पूछा जाने वाला पहला सवाल था
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सवाल: कुछ लोग रोज़े में भी बुरी बातें करते हैं, इस बारे में शरीअत क्या कहती है?
जवाब:नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
“जो शख्स बुरी बात और उस पर अमल करना नहीं छोड़ता, तो अल्लाह तआला को उसके खाने-पीने के छोड़ने की कोई जरूरत नहीं।” (बुखारी, अबू दाऊद, तिर्मिज़ी, नसाई, इब्ने माजा)
“बहुत से रोज़ेदार ऐसे हैं जिन्हें रोज़े से सिर्फ प्यास ही मिलती है, और बहुत से क़ियाम करने वाले ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ जागने के सिवा कुछ हासिल नहीं होता।” (इब्ने माजा, नसाई, तबरानी)
“रोज़ा एक ढाल है, जब तक इसे फाड़ा न जाए।” सहाबा ने पूछा: “किस चीज़ से फाड़ेगा?” तो आप ﷺ ने फ़रमाया: “झूठ या ग़ीबत से।”
सवाल: रोज़ा तोड़ने का कफ्फ़ारा क्या है? अगर कफ्फ़ारे में बीच में एक दिन नागा हो जाए तो क्या हुक्म है?
जवाब: आज के दौर में रोज़ा तोड़ने का कफ्फ़ारा ये है:
लगातार साठ (60) रोज़े रखना।
अगर लगातार रोज़े न रख सके, तो साठ (60) गरीबों को दोनों वक्त पेट भरकर खाना खिलाना।
अगर किसी ने साठ (60) रोज़े शुरू किए, लेकिन बीच में एक दिन भी छूट गया (चाहे बीमारी की वजह से ही क्यों न हो), तो उसे फिर से साठ (60) रोज़े रखने होंगे।
हाँ, अगर औरत को हाइज़ (मासिक धर्म) आ जाए, तो जितने दिन हाइज़ की वजह से रोज़े न रखे गए, वे नागे नहीं माने जाएंगे, बल्कि पहले और बाद वाले रोज़े मिलाकर कुल साठ पूरे करने से कफ्फ़ारा अदा हो जाएगा।
सवाल: रोज़े की हालत में बीवी को बोसा देना, गले लगाना या बदन का कोई हिस्सा छूना कैसा है?
जवाब: रोज़े की हालत में बीवी को बोसा देना, गले लगाना और बदन छूना मकरूह है, जब ये अंदेशा हो कि इससे इंज़ाल (मनी निकलना) हो सकता है या जिमा (संभोग) में पड़ सकता है। और होंठ या ज़ुबान चूसना तो रोज़े में बिल्कुल मकरूह है, इसी तरह कोई भी बुरी हरकत।
सवाल: लोगों में मशहूर है कि ज़वाल (दोपहर के वक्त) के बाद रोज़े में मिस्वाक करना मकरूह है, क्या ये सही है?
जवाब: नहीं, ये बात ग़लत है। रोज़े में किसी भी वक्त मिस्वाक करना मकरूह नहीं है, बल्कि जैसे आम दिनों में सुन्नत है, वैसे ही रोज़े में भी सुन्नत है। चाहे मिस्वाक सूखी हो या पानी से तर की गई हो, किसी भी वक्त मकरूह नहीं।
सवाल: रोज़े में हिज़ामा (पछना लगवाना) करवाना कैसा है?
जवाब: अगर कमजोरी का अंदेशा हो तो पछना लगवाना मकरूह है, वरना कोई हर्ज नहीं।
माहे स्याम हेल्प लाइन में मुफ्ती हज़रात व उलमा ए अहले सुन्नत के व्हाट्सअप व कॉन्टेक्ट नंबर्स
- मुफ्ती मोहम्मद इलियास खां नूरी (मुफ्ती आजम कानपुर) 9935366726
- मुफ्ती मोहम्मद हाशिम अशरफी 9415064822
- मुफ्ती मोहम्मद महताब आलम कादरी मिस्बाही 9044890301
- मौलाना फतेह मोहम्मद कादरी 9918332871
- मुफ्ती महमूद हस्सान अख्तर अलीमी 9161779931
- मौलाना कासिम अशरफी मिस्बाही (ऑफिस इंचार्ज) 8052277015
- मौलाना गुलाम हसन क़ादरी 7897581967
- मुफ्ती गुल मोहम्मद जामई अशरफी 8127135701
- मौलाना सुफियान अहमद मिस्बाही 9519904761
- हाफिज़ मोहम्मद अरशद अली अशरफी 8896406786
- जनाब इकबाल अहमद नूरी 8795819161