कानपुर। मोहम्मद उस्मान कुरैशी। के सूटरगंज स्थित मस्जिद में रविवार को इमाम हसन असकरी (अ.स.) की विलायत के पावन अवसर पर एक भव्य और आध्यात्मिक महफ़िल का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मस्जिद पूरा दिन रौशनियों और सजावट से जगमगाता रहा और बड़ी संख्या में लोग शामिल होकर इस खास दिन की बरकतों में शरीक हुए।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!महफ़िल की निज़ामत अबूज़र काज़मी ने की, जबकि सदारत डॉ. ज़ुल्फ़िकार अली रिज़वी ने की। इस कार्यक्रम का आयोजन अंजुमन औन-ओ-मोहम्मद की जानिब से किया गया, जिसने पूरी व्यवस्था को बेहतर तरीके से संपन्न कराया।
अपने तक़रीरी ख़िताब में डॉ. ज़ुल्फ़िकार अली रिज़वी ने इंसानी ज़िंदगी के अहम उसूलों पर रोशनी डालते हुए कहा कि इंसान को हमेशा अल्लाह द्वारा बताए गए रास्ते पर चलना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि दूसरों की मदद करना, उनकी तकलीफ़ें कम करना और नेक कामों में आगे रहना ही असली इबादत है।
उन्होंने यह भी कहा कि हर इंसान को रोज़ाना अपनी ज़िंदगी का हिसाब करना चाहिए—क्या आज मेरी वजह से किसी को तकलीफ़ पहुँची? क्या मैंने किसी की मदद की? और क्या मैंने अल्लाह के सामने सज्दा किया? अगर हर व्यक्ति इन सवालों का जवाब ईमानदारी से तलाशे तो समाज से नफ़रत और बुराइयाँ ख़त्म हो सकती हैं।
महफ़िल में शामिल तमाम मौलाना और मेहमानों ने भी इमाम हसन असकरी (अ.स.) के जीवन, उनके संदेश और उनकी शिक्षाओं को याद करते हुए लोगों से अमल की दावत दी। महफ़िल का माहौल रूहानी और इबादत से भरा हुआ रहा।
कार्यक्रम के अंत में अंजुमन के जनरल सेक्रेटरी नाज़ आलम ने सभी उपस्थित मेहमानों और अंजुमन के सदस्यों का दिल से शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की महफ़िलें समाज को एकता, भाईचारे और इंसानियत का संदेश देती हैं।
महफ़िल के बाद सभी हाज़िरीनों के लिए तबर्रुक का इंतज़ाम किया गया। इस मौके पर मौजूद लोगों ने इसे यादगार और आध्यात्मिक अनुभव बताया।