मदरसा शिक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे पुरानी शिक्षा निती है जिसको अपडेट किया जाना जरुरी है
मदरसा शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता लाने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान, कौशल और समकालीन जरूरतों को जोड़े। इसके लिए निम्नलिखित उपाय महत्वपूर्ण हो सकते हैं: Scripted by Shafique Faizi
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1. मदरसा शिक्षा प्रणाली का आधुनिकीकरण
मदरसा शिक्षा प्रणाली को लेकर समय समय पर आवाज़ उठती रहती है। पिछले कुछ समय से मदरसा शिक्षा प्रणाली में बदलाव की बातें भी की जा रही हैं। आइये समझते हैं इस की क्या संभावनाएं बनती हैं।
- विज्ञान, गणित और अंग्रेजी को शामिल करना: मदरसों में पारंपरिक धार्मिक शिक्षा (कुरान, हदीस, फिक्ह) के साथ-साथ गणित, विज्ञान, कंप्यूटर और अंग्रेजी जैसे विषयों को अनिवार्य बनाया जाए। इससे छात्रों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के साथ समन्वय: NEP में बहुभाषी शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया गया है। मदरसों को इसके अनुरूप पाठ्यक्रम डिजाइन करने चाहिए। इस में मदरसा शिक्षा पाठ्यक्रम में बड़ी तब्दीली की आवश्यकता भी नहीं है।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण: हस्तशिल्प, कंप्यूटर कोर्स, होटल मैनेजमेंट, या टेक्निकल स्किल्स जैसे कोर्स के साथ निम्लिखित कोर्सेस शामिल किए जाएं, ताकि छात्र स्वरोजगार के लिए तैयार हो सकें।
2. स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम:
- बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (B.Tech): यह 4 वर्षीय डिग्री प्रोग्राम है, जिसमें कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल आदि शाखाएँ शामिल हैं। प्रमुख संस्थान जैसे IIT, NIT, BITS और DTU इस कोर्स की पेशकश करते हैं।
- बैचलर ऑफ साइंस इन कंप्यूटर साइंस (B.Sc. CS): 3 वर्षीय कोर्स जो कंप्यूटर साइंस के सिद्धांतों और प्रोग्रामिंग भाषाओं पर केंद्रित है। सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई, क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बैंगलोर और लोयोला कॉलेज, चेन्नई जैसे संस्थान इसे प्रदान करते हैं।
- बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (BCA): 3 वर्षीय कोर्स जो कंप्यूटर एप्लिकेशन और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित करता है। सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ कंप्यूटर स्टडीज एंड रिसर्च (SICSR), पुणे, क्रिस्तु जयंती कॉलेज, बैंगलोर और इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) इसे प्रदान करते हैं।
3. डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रम:
- डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस: इस कोर्स में विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाएँ जैसे-जावा, HTML, C, C++ आदि और डेटाबेस, ऑपरेटिंग सिस्टम, नेटवर्किंग आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।
- डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग: निर्माण, संरचना और बुनियादी ढांचे के डिजाइन और विकास पर केंद्रित कोर्स।
- डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग: विद्युत प्रणालियों, सर्किट्स और उपकरणों के अध्ययन पर आधारित कोर्स।
- डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग: मशीनों, उपकरणों और यांत्रिक प्रणालियों के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव पर केंद्रित कोर्स।
- डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग: इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सर्किट्स और संचार प्रणालियों के अध्ययन पर आधारित कोर्स।
4.अन्य तकनीकी पाठ्यक्रम:
बैचलर ऑफ साइंस इन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (B.Sc. IT): 3 वर्षीय कोर्स जो सूचना प्रौद्योगिकी के सिद्धांतों और सॉफ्टवेयर विकास पर केंद्रित है। मुंबई विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय इसे प्रदान करते हैं।
बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (B.E.): 4 वर्षीय डिग्री प्रोग्राम जो विभिन्न इंजीनियरिंग शाखाओं जैसे कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल आदि को कवर करता है। प्रमुख संस्थान जैसे IIT, NIT, BITS और DTU इस कोर्स की पेशकश करते हैं।
इन सभी पाठ्यक्रमों में परवेश के लिए उत्तर परदेश मदरसा एजुकेशन बोर्ड के मोलवी और आलिम की मार्कशीट को और प्रभावशाली बनाने के साथ मदरसों में मॉडर्न शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। जिस के लिए एक्स्ट्रा क्लासेस और मदरसा छात्रों के लिए उचित ट्यूशन क्लास का बंदोबस्त अनिवार्य है।
5. शिक्षकों का प्रशिक्षण और संसाधन
शिक्षा प्रणाली में अधिक गुणवत्ता के लिए शिक्षकों में क्वालिटी होनी चाहिए। इस क्रम में निन्लिखित बातों का खास ध्यान रखा जाना जरुरी है।
- शिक्षकों की क्षमता निर्माण: मदरसा शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण विधियों, डिजिटल टूल्स और बाल मनोविज्ञान का प्रशिक्षण दिया जाए।
- सरकारी और गैर-सरकारी सहयोग: NCERT, SCERT, या NGOs के साथ मिलकर शिक्षकों के लिए वर्कशॉप आयोजित की जाएं।
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: कंप्यूटर लैब, इंटरनेट कनेक्टिविटी, और डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म्स (जैसे DIKSHA) को मदरसों में उपलब्ध कराया जाए।
6. सरकारी नीतियों और फंडिंग में सुधार
- SPQEM (Scheme for Providing Quality Education in Madrasas): केंद्र सरकार की इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, जिसमें मदरसों को आधुनिक विषय पढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। जो हाल की सरकारों ने बंद कर रखा है। इसको पुनः विस्तार के साथ लागू किया जाना चाहिए। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तब भी मदरसा शिक्षा से जुड़े लोगों को इसके लिए भरसक परियास करना चाहिए।
- मान्यता और अंकेक्षण: मदरसों को राज्य शिक्षा बोर्डों से मान्यता दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, ताकि छात्रों को मुख्यधारा की परीक्षाओं (जैसे CBSE, ICSE) में बैठने का अवसर मिले।
- निजी और CSR फंडिंग: कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड्स और प्राइवेट संस्थाओं से मदरसों के बुनियादी ढांचे और शिक्षण सामग्री के लिए निवेश आकर्षित किया जाए।
7. मदरसा शिक्षा प्रणाली में जागरूकता और समुदाय की भागीदारी
- अभिभावकों को शिक्षित करना: समुदाय में यह समझ बढ़ाई जाए कि धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा भी जरूरी है। इसके लिए स्थानीय नेताओं और धर्मगुरुओं की मदद ली जा सकती है।
- प्रगतिशील मदरसों को मॉडल बनाना: केरल के “जामिया नूरिया अरबिया” या पश्चिम बंगाल के कुछ मदरसों ने आधुनिक शिक्षा को सफलतापूर्वक अपनाया है। इन्हें अन्य मदरसों के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में प्रस्तुत किया जाए।
- महिला शिक्षा पर फोकस: लड़कियों के मदरसों में भी STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए।
8.मदरसा शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता निगरानी और मूल्यांकन
- नियमित ऑडिट और रिपोर्टिंग: मदरसों की शैक्षणिक गतिविधियों और बुनियादी सुविधाओं का निरीक्षण करने के लिए स्वतंत्र एजेंसियों को नियुक्त किया जाए।
- छात्र प्रदर्शन का मूल्यांकन: राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं (जैसे NAS) में मदरसा छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित करके उनके सीखने के स्तर का आकलन किया जाए।
9. सांस्कृतिक संवेदनशीलता और समावेश
- धार्मिक पहचान को बनाए रखते हुए: मदरसों की इस्लामी पहचान और शिक्षण पद्धति को सम्मान देते हुए उन्हें आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जाए।
- बहुसंस्कृतिवाद को बढ़ावा: मदरसा छात्रों को अन्य समुदायों और संस्कृतियों के साथ वार्तालाप और एक्सचेंज प्रोग्राम्स में शामिल किया जाए।
सफल उदाहरण और प्रेरणा
- केरल के मदरसे: यहां के कई मदरसे राज्य सरकार के सहयोग से आधुनिक विषय पढ़ाते हैं और छात्र CBSE परीक्षाओं में भी बैठते हैं।
- पश्चिम बंगाल मदरसा बोर्ड: इस बोर्ड ने मदरसा शिक्षा प्रणाली को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विज्ञान और कला विषयों को शामिल किया है।
- उत्तर प्रदेश का ‘मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम’: इसके तहत 1,000 से अधिक मदरसों में कंप्यूटर लैब और विज्ञान किट्स उपलब्ध कराई गई थीं जिन्हें पुनः बहल किया जाना चाहिए।
चुनौतियाँ और समाधान
- रूढ़िवादी विरोध: कुछ समूह आधुनिकीकरण को धर्म के विरोधी मानते हैं। हालाँकि बुनियादी तौर पे इस्लाम आधुनिकीकरण के विरुद्ध नहीं है, मुस्लिम समुदाय में इसके लिए भ्रांतियां फैलाई गई हैं जिसके कारण ऐसी मानसिकता बन गई हैं।इस मानसिकता को ख़तम करने के लिए धार्मिक नेताओं और विद्वानों के साथ संवाद जरूरी है।
- फंडिंग की कमी: सरकारी योजनाओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों (जैसे UNESCO) से सहायता ली जा सकती है।
- सामाजिक पूर्वाग्रह: मदरसा शिक्षा को “केवल धार्मिक” की जगह “समग्र शिक्षा” के रूप में प्रस्तुत करने की जरूरत है।
मदरसा शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता लाने के लिए सहयोगात्मक प्रयास (सरकार, समुदाय, शिक्षाविदों और NGOs का) जरूरी है। इससे न केवल मुस्लिम युवाओं को बेहतर अवसर मिलेंगे, बल्कि राष्ट्र निर्माण में उनकी भागीदारी भी बढ़ेगी। ध्यान रखना होगा कि सुधार की प्रक्रिया में मदरसों की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्वायत्तता को बनाए रखा जाए।