कानपुर। मोहम्मद उस्मान कुरैशी। बैंक में गिरवी रखे गए गहनों पर ज़कात बिल्कुल भी वाजिब नहीं
आल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल के ज़ेरे एहतिमाम माह-ए-सियाम हेल्पलाइन में पूछे गए सवालों के शरई जवाब।
सवाल: क्या दाई को रमज़ान के रोज़े छोड़ना जायज़ है?
जवाब: दूध पिलाने वाली दाई को रमज़ान में इजाज़त है कि वह उस वक्त रोज़ा न रखे जब दूध पिलाने की वजह से बच्चे या अपनी जान के नुकसान का सही अंदेशा हो। दूध पिलाना चाहे नौकरी के तौर पर हो या किसी भी वजह से।
सवाल: मुसाफिर दोपहर से पहले वतन आ गया तो क्या अब वह उसी वक्त रोज़े की नीयत करेगा या अगले दिन से?
जवाब: अगर मुसाफिर “ज़ुहा-ए-कुबरा” यानी दोपहर से पहले मुक़ीम (स्थाई निवासी) हो गया और रोज़े के खिलाफ कोई ऐसा अमल न किया जो रोज़े के लिए मना हो, तो उस दिन के रोज़े की नीयत कर लेना वाजिब है।
सवाल: इफ्तार में प्याज का सलाद खाना कैसा है?
जवाब: एहतियात (सावधानी) जरूरी है। आमतौर पर इफ्तार के बाद नमाज़-ए-मग़रिब के लिए मस्जिद जाना होता है, और कच्चा प्याज या लहसुन खाकर उसकी बदबू दूर किए बिना मस्जिद जाना और नमाज़ पढ़ना मना है। इसलिए इफ्तार में इन चीजों से परहेज़ करें।
सवाल: गहनों को बैंक में गिरवी रखकर रुपये लिए, तो क्या ज़कात वाजिब होगी या नहीं?
जवाब: बैंक में गिरवी रखे गए गहनों पर ज़कात बिल्कुल भी वाजिब नहीं है, न ही गिरवी रखने वाले पर और न ही उस पर जिसके पास गिरवी रखा गया है। और गिरवी वापस लेने के बाद भी उन सालों की ज़कात नहीं देनी जब तक वह माल गिरवी रहा।
माहे स्याम हेल्प लाइन में मुफ्ती हज़रात व उलमा ए अहले सुन्नत के व्हाट्सअप व कॉन्टेक्ट नंबर्स
- मुफ्ती मोहम्मद इलियास खां नूरी (मुफ्ती आजम कानपुर) 9935366726
- मुफ्ती मोहम्मद हाशिम अशरफी 9415064822
- मुफ्ती मोहम्मद महताब आलम कादरी मिस्बाही 9044890301
- मौलाना फतेह मोहम्मद कादरी 9918332871
- मुफ्ती महमूद हस्सान अख्तर अलीमी 9161779931
- मौलाना कासिम अशरफी मिस्बाही (ऑफिस इंचार्ज) 8052277015
- मौलाना गुलाम हसन क़ादरी 7897581967
- मुफ्ती गुल मोहम्मद जामई अशरफी 8127135701
- मौलाना सुफियान अहमद मिस्बाही 9519904761
- हाफिज़ मोहम्मद अरशद अली अशरफी 8896406786
- जनाब इकबाल अहमद नूरी 8795819161