बाराबंकी। अबू शहमा अंसारी। सआदतगंज की बेहद सक्रिय अदबी तंज़ीम “बज़्मे- एवाने- ग़ज़ल” के ज़ेरे- एहतमाम एक शानदार और बहुत ही कामयाब सालाना नअतिया तरही मुशायरे का आयोजन किया गया, इस बहुत ही कामयाब और यादगारी मुशायरे की सदारत भारत के राष्ट्रपति के हाथों सनद याफ़्ता शिक्षक और बेहतरीन शायर अदील मंसूरी ने फ़रमाई, वहीं महमाने- ख़ुसूसी के तौर पर हुज़ैल अहमद हुज़ैल, महमाने- ज़ी वक़ार के तौर पर आसी चौखण्डवी और महमाने- एज़ाज़ी की हैसियत से क़य्यूम बेहटवी ने शिरकत की,
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!इस ख़ूबसूरत मुशायरे की निज़ामत की ज़िम्मेदारी तन्ज़ो- मज़ाह के मशहूर शायर बेढब बाराबंकवी ने अपने अनोखे, जुदा और दिलकश अंदाज़ में अंजाम फ़रमाई, मुशायरे की शुरुआत सग़ीर क़ासमी ने हम्दे- बारी तआला से की जिस ने मुशायरे को रूहानी फ़ज़ा से भर दिया, उस के बाद नअत पाक के दिल नशीन मिसरा तरह
ज़िंदगी कट जाए ज़िक्रे- मुस्तफ़ा करते हुए
पर बा क़ाएदा सालाना नअतिया तरही मुशायरे का आग़ाज़ हुआ, मुशायरा बहुत ही ज़ियादा कामयाब रहा, मुशायरे में बहुत ज़ियादा पसन्द किए जाने और दादो- तहसीन से नवाज़े जाने वाले अशआर का इंतिख़ाब पेश है मुलाहिज़ा फ़रमाएं!
ले चलीं दाई हलीमा आमिना के लअल को
ज़ुल्मतों में माहे- ताबां से ज़िया करते हुए
अदील मंसूरी
इस क़दर हम से मोहब्बत थी कि दुनिया से गए
हम गुनहगारों का आक़ा तज़किरा करते हुए
ज़की तारिक़ बाराबंकवी
जब पढ़ी सूरत शिफ़ा तो दी ख़ुदा ने तब शिफ़ा
यूँ तो इक अर्सा हुआ हम को दवा करते हुए
बेढब बाराबंकवी
अह्द नाना जब से मैं पढ़ने लगा हूँ दोस्तो
शर्म सी महसूस होती है ख़ता करते हुए
आसी चौखण्डवी
ज़िक्र से उन के दिल अपना आइना करते हुए
उम्र कट जाए मोहम्मद से वफ़ा करते हुए
हुज़ैल अहमद हुज़ैल
सँग बरसाए जिन्होंने ने आप उन के वास्ते
लौट आए शह्रे- ताएफ़ से दुआ करते हुए
दानिश रामपुरी
वो यहूदी हो मुसलमाँ हो या कोई और हो
आप ने मज़हब न देखा फ़ैसला करते हुए
ज़हीर रामपुरी
लोग दावा कर रहे हैं मुस्तफ़ा से इश्क़ का
तर्क सुन्नत ओर नमाज़ों को क़ज़ा करते हुए
कलीम तारिक़
रफ़्ता रफ़्ता नूर के अवसाफ़ मुझ में आ गए
तज़किरा उस नूर वाली ज़ात का करते हुए
असर सैदनपूरी
बादशाहे- दो जहाँ की ख़ाकसारी मरहबा
देखा है नानो- नमक पर इक्तिफ़ा करते हुए
राशिद ज़हूर
हम चराग़ाँ कर रहे हैं आमदे- सरकार पर
मुस्तफ़ा या मुस्तफ़ा या मुस्तफ़ा करते हुए
बिलाल रौनक़ भिवंडी
चाहे बू बकरो- उमर हों या कि उस्मानो- अली
सब गए दुनिया से उन का आसरा करते हुए
मुश्ताक़ बज़्मी
ये तमन्ना है मेरी ओर आख़िरी अरमान है
सूए- तैबा जाऊँ मैं शुक्रे- ख़ुदा करते हुए
ज़हीर अंसारी सैदनपूरी
नअते- सरवर लिख रहा हूँ ये दुआ करते हुए
ज़िंदगी कट जाए ज़िक्रे- मुस्तफ़ा करते हुए
इक़बाल बाँसवी
ज़ीस्त गुज़रे ऐ ख़ुदा तेरी सना करते हुए
ओर मरूँ तौसीफ़े- शाहे- अंबिया करते हुए
आफ़ताब जामी
ख़ाके- पाए- मुस्तफ़ा से मिल गई उन को शिफ़ा
जो बहुत मायूस थे अपनी दवा करते हुए
नईम सिकन्दरपूरी
जानो- दिल इस्मे- मोहम्मद पर फ़िदा करते हुए
हज़रते- हस्सान की सुन्नत अदा करते हुए
शफ़ीक़ रामपूरी
अश्क आँखों से रवाँ हैं और दिल है मुज़तरिब
गुंबदे- ख़ज़रा का यारो तज़किरा करते हुए
मिस्बाह रहमानी
जन्नतुल फ़िरदौस में जाएगा वो “अहमद” ज़रूर
मर गया जो भी नबी की इक़्तिदा करते हुए
क़ारी अबू हुरैरा अहमद
बख़्श देना उम्मते- आसी को रब रोज़े- जज़ा
कहते थे आक़ा यही रब से दुआ करते हुए
सहर अय्यूबी
सुन्नते- महबूबे- रब समझो अधूरी रह गई
झुक न पाया दिल अगर सजदा अदा करते हुए
माहिर बाराबंकी
इब्तिदाए- ज़िंदगी से आख़िरी अय्याम तक
आप दुनिया से गए सब का भला करते हुए
असरार हयात रामपूरी
जो मोहम्मद मुस्तफ़ा पर हो गया दिल से फ़िदा
ज़िंदगी उस की कटी शुक्रे- ख़ुदा करते हुए
अरशद बाराबंकवी
इन शोअरा के अलावा क़य्यूम बेहटवी, असलम सैदनपूरी, क़मर सिकन्दरपूरी,सग़ीर क़ासमी और अबूज़र अंसारी ने भी अपना अपने तरही कलाम पेश किया और तमामी शोअरा और सामईन से ख़ूब दादो- तहसीन हासिल की, सामईन में आइडियल इंटर कालेज के प्रबंधक मोहम्मद मुस्तक़ीम अंसारी, मास्टर मोहम्मद वसीम अंसारी, मास्टर मोहम्मद क़सीम अंसारी, मास्टर मोहम्मद हलीम अंसारी और मास्टर मोहम्मद राशिद अंसारी के नाम भी क़ाबिले- ज़िक्र हैं, “बज़्मे- एवाने- ग़ज़ल” का आइन्दा माह तरही मुशायरा 26/ अक्टूबर को दर्ज ज़ेल मिसरे
“तू भी हो जाएगा बदनाम मेरे साथ न चल”
क़ाफ़िया: बदनाम
रदीफ़: मेरे साथ न चल
पर आइडियल इंटर कालेज में ही होगा यह ऐलान मुशायरे में शिरकत करने वाले सभी शोअरा और सामईन कराम का शुक्रिया अदा करते हुए बज़्म के सद्र ज़की तारिक़ बाराबंकवी ने किया!