अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 13 फरवरी, 2025 को वाशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आधिकारिक कार्यकारी यात्रा की मेजबानी की, अमेरिका और भारत के बीच यूएस-इंडिया कॉम्पैक्ट (सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए अवसरों को उत्प्रेरित करना) का शुभारंभ किया गया। उम्मीद की जा रही थी कि प्रधान मंत्री इस दौरे में प्रवासी भारतियों का मुद्दा जरुर उठाएंगे किन्तु भारत-अमेरिका संयुक्त वक्तव्य में इस पर कोई चर्चा नहीं हुई जिस से हालिया दिनों में प्रताड़ना झेल के स्वदेश लौटे प्रवासी भारतियों को बड़ा धक्का लगा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!व्यापार और निवेश
दोनों देशों ने अर्थव्यवस्था को अधिक नवीन और आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक सरल बनाने के लिए व्यापार और निवेश का विस्तार करने का संकल्प लिया। निष्पक्षता, राष्ट्रीय सुरक्षा और रोजगार सृजन सुनिश्चित करने वाले विकास को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों को गहरा करने का संकल्प लिया। इस उद्देश्य के लिए, नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार के लिए एक साहसिक नया लक्ष्य निर्धारित किया “मिशन 500” जिसका लक्ष्य 2030 तक कुल द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक करके 500 बिलियन डॉलर करना है।
प्रवासी भारतियों का मुद्दा गायब ?
भारत-अमेरिका संयुक्त बयान में ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और नवाचार, बहुपक्षीय सहयोग,लोगों के बीच सहयोग जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई लेकिन भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी की क्या रणनीति है इस पर कोई बात नहीं, जिस इस बात की आशंकाएं लगाई जा रही हैं कि, भारत सरकार इस मुद्दे पर किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुँच पाई है, कहा यह भी जा रहा है कि मोदी सरकार भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर ट्रंप से सीधे टक्कर नहीं लेना चाहती है या ऐसा भी हो सकता कि भारत सरकार जान बूझ कर प्रवासी भारतियों का मुद्दा उठाना नहीं चाहती है। अब इसमें मोदी सरकार की क्या रणनीति या मजबूरी है इसको सरकार ही बता सकती है. इतने गंभीर मुद्दे को नज़रंदाज़ करना कई और आशंकाओं को जन्म दे सकता है.