परेशानी एवं मुसीबत से जूझ रहे भाइयों की राहत के लिए इमारत-ए-शरिया की राहत कार्य टीम पंजाब रवाना
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महा सचिव इमारत-ए-शरिया मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद सईदुर्रहमान क़ासमी साहब ने इंसानियत का दर्द रखने वाले सभी अहल-ए-ख़ैर से अपील की है कि वे बाढ़ पीड़ितों की मदद में आगे आएँ और भरपूर सहयोग करें।
फुलवारी शरीफ। पटना। मोहम्मद उस्मान कुरैशी। पंजाब राज्य में आई मौजूदा भीषण बाढ़ ने फ़िरोज़पुर, गुरदासपुर, अमृतसर और पठानकोट आदि ज़िलों में जो तबाही मचाई है, उसने हर इंसानी दिलों को झिंझोड़ कर रख दिया है , जानकारी के अनुसार मशहूर नदियाँ ब्यास और सतलज के तेज़ बहाव से अचानक बाँध टूट गया और देखते ही देखते सैकड़ों बस्तियाँ पानी में डूब गईं। अरबों की फ़सलें बर्बाद हो गईं, करोड़ों की संपत्ति और मवेशी पानी में बह गए। सैकड़ों मकान ढह गए। जो लोग आरामदायक मकानों में चैन और सुरक्षित जीवन जी रहे थे, वे अचानक बेघर हो गए और दाना दाना के लिए भी मोहताज बन गए।
अभी तक कई इलाक़ों से पानी नहीं उतरा है। लोग या तो अपने घरों को छोड़कर चले गए हैं या सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। हज़ारों परिवार बदहाली और तंगी की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।
इमारत-ए-शरिया, बिहार-ओद्सिशा -झारखंड, फुलवारी शरीफ़ पटना ने हमेशा ऐसी कठिन घड़ियों में इंसानियत की राहत और ग़म का आँसू पोंछने में अहम भूमिका निभाई है। इसलिए इस मौक़े पर भी अमीर-ए-शरीअत, मुफक्किर-ए-मिल्लत हज़रत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी साहब की हिदायत(मार्गदर्शन) के अनुसार पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की राहत के लिए 13 सदस्यों की इमारत-ए-शरीअह की राहत टीम पंजाब भेजी जा रही है।
इस टीम में डॉक्टरों का दल भी शामिल होगा। राहत कार्य की अगुवाई नायब नाज़िम इमारत-ए-शरिया मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद सोहराब नदवी क़ासमी साहब करेंगे। इस प्रतिनिधिमंडल में इमारत-ए-शरीअह के अन्य सम्मानित उलेमा-ए-किराम और जामिया रहमानी,ख़ानक़ाह मोंगेर के उस्ताद(शिक्षक)भी शामिल होंगे।
उपरोक्त बातें इमारत-ए- शरिया के महा सचिव मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद सईदुर्रहमान क़ासमी साहब ने आज इमारत-ए-शरिया की राहत टीम को पंजाब रवाना करते समय कहीं। उन्होंने कहा कि इमारत-ए-शरिया ने हमेशा ऐसे मौक़ों पर अहल-ए-ख़ैर के सहयोग से पीड़ितों के लिए अस्थायी राहत से लेकर पुनर्वास तक की सेवा अंजाम दी है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रतिनिधिमंडल के पंजाब पहुँचने और अस्थायी राहत कार्य शुरू करने के साथ ही ज़मीनी हालात और उनकी ज़रूरतों को सामने रखते हुए इंशा अल्लाह, आवश्यकतानुसार अन्य सेवाएँ भी की जाएँगी और पीड़ितों को राहत पहुँचाने में उपलब्ध संसाधनों के अनुसार पूरा योगदान दिया जाएगा।
इस अवसर पर नाज़िम साहब ने इंसानियत का दर्द रखने वाले, सभी भलाई चाहने वालों और सक्षम व्यक्तियों से अपील की कि वे अपनी क्षमता और साधनों के अनुसार बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आएँ।
उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा एक महान इबादत है। धर्म और मज़हब से ऊपर उठकर केवल मानवता के आधार पर राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।
जो लोग इमारत-ए- शरिया के द्वारा इस नेक काम में भाग लेना चाहते हैं, वे निम्न खाते में राशि ट्रांसफ़र कर सकते हैं।
आज की परामर्श बैठक में माननीय नाज़िम साहब की पहल पर केंद्रीय कार्यालय एमारत-ए-शरीअत, अस्पताल, टेक्निकल इंस्टिट्यूट और दारुल उलूम अल-इस्लामिया एमारत-ए-शरीअत के ज़िम्मेदारान, कार्यकर्ताओं और शिक्षकों ने बाढ़ प्रभावितों के लिए अपनी तनख्वाहों में से हार्दिक सहयोग भी प्रस्तुत किया।
नाज़िम साहब ने बिहार,ओडिश, झारखंड एवं बंगाल के सभी लोगों से आम तौर पर एवं इमारत-ए-शरिया के ज़िम्मेदारान, नुक़बा-सहायक नुक़बा तथा उलमा इमाम से ख़ास तौर पर अपील की कि वे इस मुसीबत की घड़ी में अपनी दरियादिली और इंसानी हमदर्दी का सबूत पेश करें.
सदर क़ाज़ी-ए-शरीअत मौलाना मोहम्मद अऩ्ज़ार आलम क़ासमी साहब ने रक़्त-अमेज़ दुआ के साथ वफ़द को रुख़्सत किया।