कानपुर: ना कोई लावारिस पैदा हुआ है ना कोई लावारिस मरे। इस मुहिम को साकार रूप देने में अग्रणी संस्था समाज कल्याण सेवा समिति (पंजी) कानपुर द्वारा आयोजित किया जा रहे लावारिस शवों को ससम्मान पांच दिवसीय कन्धादान अभियान के आज दूसरे दिन “मुस्लिम समुदाय” द्वारा लावारिस शवों को दुआ कर अंतिम विदाई की गई।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!फूलों से सजी दो अर्थियां जब पोस्टमार्टम से बाहर निकली तो महिलाओं द्वारा उन पर फूलों की वर्षा की गई। राह चलते राहगीर एवं देखने वाले मंत्रमुग्ध हो गए व एक दूसरे से पूछ रहे कि यह किस नेक इंसान की अर्थी है।
समिति के सचिव धनीराम पैंथर ने अपने संबोधन में कहा कि हम संपूर्ण प्रदेश में इस मुहिम को करना चाहते हैं। आप सभी के सहयोग से यह मुहिम वर्ष 2009 से लगातार चल रही है अभी तक 16000 से अधिक लावारिस शवों को ससम्मान स्वरूप अंतिम संस्कार किया जा चुका है।
इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य ” कोई लावारिस न मरे” के साथ साथ गंगा नदी जल प्रदूषण मुक्त किया जाना मुख्य उद्देश्य है। कन्धादान अभियान में प्रमुख सैय्यद तौफीक अहमद (साजिद सर), सफीक सिद्दीकी, मोहम्मद शाकिर, ताजुद्दीन, मोहम्मद असलम, अनवर अहमद, सतीश निगम (पूर्व विधायक), संजय गुप्ता, सतीश चंद्र, राकेश राव, अलीबाबा, अनिल प्रजापति, अनिल जायसवाल, मोहम्मद रईस उर्फ राजा, इंजीनियर कोमल सिंह, रघुराज सिंह, बटऊ यादव, प्रोफेसर एस सी श्रीवास्तव, विनय सेन , निर्मल कुमार एडवोकेट, जीतू कैथल, अनवर वारसी, मोइन कादरी, मकबूल अख्तर, राजा शाह, मोहम्मद रिजवान, ताजुद्दीन, इरफान बरकाती, मोहम्मद शोएब, अजहर अली, लाल जी, चंदन निषाद, प्रदीप यादव, अशोक कुमार, संजय गुप्ता, राधेश्याम भारतीय, तकदीर सिंह, रामनाथ, राम लखन, आशीष गुप्ता, विनीत कुमार, रोहित प्रजापति, जैकी, बाबू पासवान, सोनू टी स्टॉल, अतुल कुरील, अजय कुमार, चंद्रशेखर बाल्मिकी, प्रदीप पैंथर, सुरेंद्र पैंथर, सोहन भारतीय, शिवम सिंह आजाद, सुमित कुमार, श्रीमद् बबली गौतम, श्रीमती मनीषा पैंथर, रेशमा, सन्नो बेगम, श्रीमती रुक्मणी, श्रीमती सबीना सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।