आम आदमी पार्टी एवं कांग्रेस के खेमों में खलबली, बीजेपी को मिल सकती है राहत
- AIMIM दिल्ली चुनाव में 10-12 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा कर सकती है।
- ताहिर हुसैन को टिकट देने पर विवाद, आम आदमी पार्टी ने ताहिर हुसैन से पहले ही किनारा कर लिया है।
- AIMIM मुस्लिम बहुल इलाकों में AAP के खिलाफ चुनाव लड़ने का इरादा।
AIMIM हैदराबाद तेलंगाना से महाराष्ट्र और बिहार के रास्ते धीरे-धीरे अपना विस्तार कर रही है, दिल्ली विधान सभा को AIMIM राजधानी में अपनी उपस्थिति स्थापित करने के अवसर के रूप में देखती है। दिल्ली विधानसभा में यह AIMIM का पहला बड़ा चुनावी अभियान होगा।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!ओवैसी का कहना है “वह दिल्ली विधानसभा चुनाव पूरी ताकत और दृढ़ संकल्प के साथ लड़ेंगे।” “हमारी पार्टी अल्पसंख्यकों और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए एक अलग आवाज़ पेश करती है, और हमारा मानना है कि दिल्ली के मतदाता एक ऐसे विकल्प के हकदार हैं जो वास्तव में उनके हितों का प्रतिनिधित्व करता हो।”
हालांकि पार्टी ने अभी तक यह नहीं बताया है कि वह कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन सूत्रों से पता चलता है कि AIMIM मुख्य रूप से अल्पसंख्यक आबादी वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी। पार्टी के प्रवेश से इन क्षेत्रों में चुनावी गतिशीलता में संभावित रूप से बदलाव आ सकता है, जो परंपरागत रूप से आम आदमी पार्काटी, बीजेपी या कांग्रेस का गढ़ रहे हैं।
विश्लेष
राजनीतिक विश्लेषकों का सुझाव है कि एआईएमआईएम के प्रवेश से दिल्ली में स्थापित पार्टियों के वोट शेयर पर असर पड़ सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पार्टी पिछले एक साल से सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से अपना आधार बना रही है।
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में विधानसभा चुनावों से पहले ही तीव्र गतिविधियां देखी जा रही हैं। एआईएमआईएम के प्रवेश से चुनावी मुकाबले में एक और आयाम जुड़ गया है, जो आमतौर पर प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के बीच बहुकोणीय मुकाबला हो सकता है।
इस दरमियान ताहिर हुसैन को टिकट देने पर काफी विवाद देखने को मिला है, ज्ञात रहे कि ताहिर हुसैन ने AAP से नाता भी तोड़ लिया है, विवाद का मुख्य कारण ताहिर हुसैन का दिल्ली दंगों में अरूपी होना है, हालाँकि देश में AIMIM अकेली ऐसी पार्टी नहीं है जिसने किसी आरूपी को टिकेट हो हो
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2024 में चुने गए सांसदों में 251 पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। जो वर्ष 2019 के मिकाबले 124% ज्यादा है। जिस पर ना तो मीडिया आवाज़ उठाती है, न ही इस से किसी राजनेतिक डाल को कोई आपत्ति है, ऐसे में ताहिर हुसैन के उम्मेदवारी पर प्रश्नचिंह लगाना सही नहीं ठहराया सकता।
दिल्ली में 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारी चल रही है, ऐसे में यह देखना बाकी है कि एआईएमआईएम की चुनावी रणनीति क्या होगी और इसका राजधानी के राजनीतिक समीकरणों पर क्या असर होगा।