डिग्री कॉलेज भर्ती में मेरिट की अनदेखी और भाई-भतीजावाद का आरोप
लखनऊ: हाल ही में डिग्री कॉलेज भर्ती में नियमों का उल्लंघन और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने के आरोप सामने आए हैं। सरकारी मानदंडों और प्रक्रिया के तहत योग्य उम्मीदवारों की भर्ती सुनिश्चित करने के बजाय, अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने व्यक्तिगत संबंधों और दबाव के आधार पर लोगों को नियुक्त किया। इस स्थिति से शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षक (पी.ई.टी.) उत्तीर्ण छात्रों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
मेरिट की अनदेखी, भाई-भतीजावाद को बढ़ावा
डिग्री कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया में बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां मेरिट सूची में स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को नज़रअंदाज़ किया गया और उनके स्थान पर कम योग्य या अयोग्य व्यक्तियों को नियुक्त किया गया। आरोप है कि यह नियुक्तियां पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई हैं, जिससे यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या वास्तव में भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष थी।
Preliminary Eligibility Test (PET) उत्तीर्ण छात्रों की मांग: मेरिट आधारित भर्ती
प्रारम्भिक पात्रता परीक्षा (पी.ई.टी.) परीक्षा पास कर चुके हजारों छात्र लंबे समय से मेरिट आधारित भर्तियों की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वर्षों की मेहनत और परीक्षा में सफलता के बावजूद उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर नौकरी नहीं दी जा रही है। इसके विपरीत, ऐसे लोगों को नियुक्त किया जा रहा है जो मेरिट सूची में स्थान तक नहीं बना सके। यह न केवल इन छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि शिक्षा प्रणाली की साख को भी नुकसान पहुंचाता है।
यू.पी.एस.एस.एस.सी. का विज्ञापन: सी-ग्रेड पदों के लिए भर्ती
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) ने हाल ही में सी-ग्रेड पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन जारी किया है। आयोग का दावा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और मेरिट आधारित होगी। लेकिन छात्रों का आरोप है कि इससे पहले भी कई बार विज्ञापन और भर्तियों में अनियमितता देखी गई है। छात्रों का कहना है कि जब तक सरकार और संबंधित अधिकारी भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं बनाएंगे, तब तक इस तरह की समस्याएं बनी रहेंगी।
छात्रों और सामाजिक संगठनों का विरोध
भर्ती प्रक्रिया में हो रही अनियमितताओं के विरोध में छात्रों ने कई जिलों में प्रदर्शन किए। सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है। छात्रों का कहना है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे।
निष्पक्ष जांच की मांग
छात्रों और सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार से इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि दोषी अधिकारियों और व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और मेरिट के आधार पर योग्य उम्मीदवारों को नियुक्त किया जाए।
डिग्री कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं और भाई-भतीजावाद के आरोप गंभीर हैं। यह स्थिति न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि शिक्षा प्रणाली की साख को भी धूमिल करती है। सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि योग्य छात्रों को उनके अधिकार मिल सकें।