कानपुर: (मोहम्मद उस्मान कुरैशी) जामिया अशरफुल बनात निसवां और मदरसा अल जामियातुल इस्लामिया अशरफुल मदारिस गद्दियाना में आयोजन होने वाली 35 वीं वार्षिक अशरफुल अम्बिया कॉन्फ्रेंस व जलसा-ए दस्तार-ए फ़ज़ीलत के तीसरे दौर के प्रोग्राम में जश्न ए ख़त्म ए बुखारी शरीफ का आयोजन हुआ.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!बुखारी शरीफ की आखरी हदीस का पाठ छात्रों कों हजरत अल्लामा मुफ़्ती कारी हसीब अख्तर शाहिदी सर बराहे आला दारुल उलूम शाहे आला कुद्रतिया ने पढ़ाया और उन्होंने इमाम-ए बुखारी की जीवनी पर रौशनी डालते हुए कहा कि आप का जन्म 194 हिजरी और इन्तेकाल 256 हिजरी में हुआ 62 साल की थोड़े से समय में आप ने फुनुने हदीस में बहुत सारी किताबें लिखी इमाम-ए बुखारी को लगभग 6 लाख हदीसें याद थीं इमाम-ए बुखारी अल्लाह की बारगाह में बहुत मकबूल थे
मुफ़्ती साहब क़िबला ने छात्रों को इमाम-ए बुखारी की ज़िन्दगी को आदर्श बनाने की दिलचस्पी दिलाई मौलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी सरबराह-ए आला जामिया हाज़ा ने छात्रों को नसीहत करते हुए कहा कि हदीस का इल्म हम तक पहुचाने के लिए मोहद्दिसीन ने बहुत तकलीफें और मुसीबतें बर्दाश्त कीं हैं आज की तरह उस वक़्त प्रिंटिंग प्रेस नहीं थे मोहद्दिसीन अपने हाथों से किताबें लिखीं दूर दराज़ का मुश्किल सफर किया कभी कभी पेड़ के पत्ते खाने की नौबत आ जाती लिहाज़ा छात्रों को मोहद्दिसीन के जीवन से सबक लेना चाहिए और इल्म हासिल करने की राह में आने वाली परेशानियों को बर्दाश्त करते हुए मेहनत करके इल्म हासिल करें छात्र दीनी इल्म के साथ साथ दुनयावी इल्म भी हासिल करें
उनहोंने फारिग़ होने वाले छात्रों को नसीहत करते हुए कहा बीटा पहले तुम आम शख्स थे अब एक आलिम की हैसियत से दुनिया के सामने जा रहे हो तुम्हारे उठने बैठने को लोग दीन समझेंगे लिहाज़ा तुम ऐसा काम न करना जो दीन न हो और लोग दीन समझ बैठें एक मशहूर कहावत है आलिम का फिसलना आलम है इस लिए एक एक क़दम फूंक फूँक कर रखना और अपनी पूरी ज़िन्दगी शरीअत और सुन्नत के मुताबिक गुज़ारना.
मौलाना हाशिम अशरफ़ी इमाम ईदगाह गद्दियाना ने फरमाया कि रोटी,कपड़ा,मकान का शौक कम करो बच्चो को ज़रूर पढ़ाओ ज़रुरत के मुताबिक इल्म हासिल करना हर मर्द मुसलमान औरत पर पर फ़र्ज़ है प्रोग्राम के इख्तेताम पर उन्होंने आलम-ए इसलाम और मुल्क में अमनो अमान और खुश हाली की दोआ फरमाई इस से पहले प्रोग्राम की शुरूआत कारी मो.अहमद अशरफ़ी साहब ने तिलावते कुरआन से किया नातिया कलाम छात्र व छात्राओं ने पेश किए
संचालन हाफिज़ अरशद अशरफी ने किया. और सलातो सलाम और दुआ पर प्रोग्राम का इख्तेताम हुआ इस मौके पर खास तौर से मुफ़्ती साकीब अदीब मिस्बाही,कारी सगीर आलम हबीबी ,मौलाना फ़तेह मोहम्मद क़ादरी,मौलाना महमूद हस्सान अख्तर, मौलाना कासिम मिस्बाही,मौलाना गुल मोह्म्मद जामई,मौलाना सुफियान अहमद मिस्बाही,मौलाना मसूद मिस्बाही,कारी आज़ाद अशरफी ,हाफिज मसूद रज़ा,हाफिज मुश्ताक़ अशरफी, मौलाना मो.कलीम, आदि काफी लोग मौजूद रहे इस से पूर्व तकमीले कुरान का प्रोग्राम भी आयोजित हुआ.