कानपुर।मोहम्मद उस्मान कुरैशी। ऑनलाइन माल-ए-तिजारत बुक कराया और साल गुजरने के बाद कब्जा किया तो गुजिश्ता साल की जकात भी वाजिब आल इंडिया गरीब नवाज कौंसिल के ज़ेर-ए-एहतिमाम माह-ए-सियाम हेल्पलाइन में पूछे गए सवालात के शरई जवाब
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सवाल: ऑनलाइन माल-ए-तिजारत बुक कराया और इस पर कब्जा नहीं किया तो इस माल की जकात देनी होगी या नहीं?
जवाब: जो माल बग़रज़-ए-तिजारत खरीदा गया मगर इस माल को अपने कब्जे में नहीं लिया, तो खरीददार पर इस माल की जकात वाजिब न होगी। अलबत्ता साल गुजरने के बाद अगर इस पर कब्जा कर लिया तो कब्जे के बाद गुजिश्ता साल की जकात भी इस पर वाजिब होगी।
सवाल: क्या एक मुअज्ज़िन को दो मस्जिदों में अज़ान कहना जायज़ है?
जवाब: एक मुअज्ज़िन को एक वक्त में दो मस्जिदों में अज़ान कहना मुनासिब नहीं। हां, अगर ज़ोहर में किसी मस्जिद में और अस्र में किसी दूसरी मस्जिद में अज़ान कही, तो कोई हरज नहीं।
सवाल: क्या ग़ुसलख़ाने में बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ सकते हैं या नहीं?
जवाब: नहीं, गुसल ख़ाना या नजासत की जगहों पर कुरआन पढ़ना नाजायज़ है, और “बिस्मिल्लाह” भी कुरआन की एक आयत है।
सवाल: अगर ज़ोहर की सुन्नत-ए-मुअक्कदा के क़अदा-ए-उला में तशह्हुद के बाद दरूद शरीफ पढ़ लिया तो क्या हुक्म है?
जवाब: फर्ज़, वाजिब और सुन्नत-ए-मुअक्कदा की क़अदा-ए-उला में दरूद शरीफ पढ़ना जायज़ नहीं। अगर भूलकर पढ़ा तो सज्दा-ए-सहव वाजिब होगा, और अगर जानबूझकर पढ़ा तो इस नमाज को दोबारा पढ़ना वाजिब होगा।
माहे स्याम हेल्प लाइन में मुफ्ती हज़रात व उलमा ए अहले सुन्नत के व्हाट्सअप व कॉन्टेक्ट नंबर्स
- मुफ्ती मोहम्मद इलियास खां नूरी (मुफ्ती आजम कानपुर) 9935366726
- मुफ्ती मोहम्मद हाशिम अशरफी 9415064822
- मुफ्ती मोहम्मद महताब आलम कादरी मिस्बाही 9044890301
- मौलाना फतेह मोहम्मद कादरी 9918332871
- मुफ्ती महमूद हस्सान अख्तर अलीमी 9161779931
- मौलाना कासिम अशरफी मिस्बाही (ऑफिस इंचार्ज) 8052277015
- मौलाना गुलाम हसन क़ादरी 7897581967
- मुफ्ती गुल मोहम्मद जामई अशरफी 8127135701
- मौलाना सुफियान अहमद मिस्बाही 9519904761
- हाफिज़ मोहम्मद अरशद अली अशरफी 8896406786
- जनाब इकबाल अहमद नूरी 8795819161