कानपुर विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 के उपलक्ष्य में “अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, कानपुर शाखा” द्वारा आज कानपुर शहर में विभिन्न स्थानों पर व्यापक स्तर पर जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मुख्य कार्यक्रम जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के बाल रोग विभाग के सभागार में सम्पन्न हुआ, जिसमें कुल 65 नर्सिंग एवं पेरामेडिकल स्टाफ ने सहभागिता की। इस प्रशिक्षण सत्र में प्रसवोत्तर अवधि में माताओं को स्तनपान हेतु कैसे प्रोत्साहित किया जाए, स्तनपान में आने वाली व्यवहारिक व तकनीकी समस्याओं जैसे – इनवर्टेड निप्पल, निप्पल का दर्द, दूध की कमी, नवजात का ठीक से चूस न पाना आदि का समाधान करने के व्यावहारिक तरीके बताए गए।
कार्यक्रम की शुरुआत एक सशक्त नुक्कड़ नाटक से हुई, जिसमें स्तनपान के लाभ जैसे – रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, शिशु की बेहतर मानसिक व शारीरिक वृद्धि, माँ-बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध की मजबूती को रेखांकित किया गया। नुक्कड़ नाटक का निर्देशन अंकिता व महिमा द्वारा किया गया।
इसके पश्चात रंगोली, पोस्टर एवं चार्ट प्रतियोगिता आयोजित की गई। रंगोली में प्रथम स्थान शिप्रा, काजल एवं शिल्पी की टीम को मिला। चार्ट प्रतियोगिता में अभिषेक एवं कार्तिक ने प्रथम, अंजू एवं पंकज ने द्वितीय तथा काजल यादव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

कार्यक्रम का कुशल संचालन अकादमी के सचिव डॉ. अमितेश यादव ने किया। इस अवसर पर बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र गौतम, डॉ. अरुण आर्य, डॉ. देविना, डॉ. नेहा राय, डॉ. प्रशांत, वरिष्ठ नर्स राजकुमारी एवं तकनीकी सहायक सौरभ प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में साझा किए गए वैज्ञानिक आंकड़े:
यूनिसेफ़ की रिपोर्ट (2023) के अनुसार भारत में केवल 44% नवजातों को जीवन के पहले घंटे में स्तनपान मिल पाता है, जबकि यह ‘गोल्डन ऑवर’ शिशु के जीवन के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार यदि सभी शिशुओं को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान प्रारंभ कराया जाए और 6 माह तक केवल स्तनपान जारी रखा जाए, तो विश्वभर में पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग 8,20,000 बच्चों की जान हर वर्ष बचाई जा सकती है।
माँ का पहला दूध (कोलोस्ट्रम) नवजात शिशु के लिए प्राकृतिक टीके (Natural Vaccine) की तरह कार्य करता है, जो संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करता है।
स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि कैंसर व टाइप 2 मधुमेह का खतरा कम हो जाता है।
इसके अतिरिक्त, शहर के प्रमुख निजी अस्पतालों – प्रखर हॉस्पिटल, चंदन हॉस्पिटल तथा फैज़ ए.एम. हॉस्पिटल (परेड) में भी स्तनपान जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में नर्सिंग स्टाफ व आम जनता को स्तनपान के लाभों व मिथकों पर विस्तार से जानकारी दी गई। इन आयोजनों में डॉ. रोली श्रीवास्तव, डॉ. वी. एन. त्रिपाठी, डॉ. अमित चावला, डॉ. विनीत एवं डॉ. सी. एस. गांधी ने भाग लेकर संवाद व प्रशिक्षण सत्र को मार्गदर्शन प्रदान किया।
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य माताओं के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मी वर्ग को भी स्तनपान के प्रति संवेदनशील बनाना था, ताकि एक ऐसा तंत्र विकसित किया जा सके जो शिशु के पहले अधिकार – माँ के दूध – को सुनिश्चित कर सके।
“अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, कानपुर” द्वारा किया गया यह प्रयास न केवल शिशु व मातृ स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक प्रभावी पहल है, बल्कि समाज में स्तनपान को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने हेतु एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण की ओर सशक्त कदम भी है।