- प्रधानमंत्री मोदी ने यूएन और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को “अप्रासंगिक” बताया।
- कोविड ने दुनिया को एकता का पाठ पढ़ाया, लेकिन संघर्ष बढ़े।
- भारत ने UNSC सुधार और अपनी स्थायी सदस्यता की माँग दोहराई।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को अमेरिकी वैज्ञानिक लेक्स फ्रिडमैन (Lex Fridman) के साथ एक पॉडकास्ट साक्षात्कार में चल रहे मध्य पूर्व संघर्ष और चीन-अमेरिका तनाव के बीच संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर तीखा निशाना साधा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये संस्थाएँ “लगभग अप्रासंगिक” हो गई हैं क्योंकि इनमें “कोई सुधार नहीं हुआ है।”
उन्होंने कहा, “जो अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाए गए थे, वे लगभग अप्रासंगिक हो गए हैं। इनमें कोई बदलाव नहीं आया। संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएँ अपनी भूमिका नहीं निभा पा रही हैं। दुनिया में कुछ लोग कानून और नियमों की परवाह नहीं करते, वे सब कुछ कर रहे हैं, लेकिन कोई उन्हें रोक नहीं पा रहा।”
कोविड-19 से सीख और ‘एकता’ की ज़रूरत
वैश्विक तनाव के बीच पीएम मोदी ने कोविड-19 से मिले सबक का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस महामारी ने हर देश की सीमाओं को उजागर कर दिया और एकता की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “कोविड-19 ने हम सभी की कमियाँ दिखा दीं। चाहे हम अपने आपको कितना भी महान या वैज्ञानिक रूप से उन्नत मानें, हर देश इस महामारी के सामने असहाय नज़र आया। ऐसा लगा था कि दुनिया इससे कुछ सीखेगी और एक नई वैश्विक व्यवस्था बनेगी। लेकिन दुर्भाग्य से, शांति के बजाय दुनिया और बिखर गई। अनिश्चितता का दौर आया और युद्ध ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।”
संघर्ष से सहयोग की ओर बढ़ने का आह्वान
पीएम मोदी ने विकास-केंद्रित नीतियों पर ज़ोर देते हुए कहा कि आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में विस्तारवाद काम नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “दुनिया आज निर्भर और जुड़ी हुई है। सभी को एक-दूसरे की ज़रूरत है। अकेले कोई कुछ नहीं कर सकता। मैं देखता हूँ कि हर मंच पर लोग संघर्ष को लेकर चिंतित हैं। हमें जल्द ही इससे मुक्ति मिले, यही उम्मीद है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने यूएन सुरक्षा परिषद में सुधार की माँग
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में दिए अपने भाषण में पीएम मोदी ने यूएन के सुधार को “ज़रूरी” बताया था। उन्होंने कहा था कि वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप कार्रवाई होनी चाहिए। भारत लंबे समय से यूएन सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता की माँग कर रहा है। नई दिल्ली का कहना है कि 1945 में बनी यह 15-देशीय परिषद 21वीं सदी की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती। भारत 2021-22 में अस्थायी सदस्य रह चुका है।
वर्तमान में UNSC में पाँच स्थायी (रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका) और 10 अस्थायी सदस्य हैं। स्थायी सदस्यों के पास किसी भी प्रस्ताव को वीटो करने का अधिकार है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने भारत के स्थायी सदस्यता दावे का समर्थन किया है।