कानपुर।मोहम्मद उस्मान कुरैशी। 8 मार्च को माहे स्याम हेल्प लाइन पर पूछे गए सवाल: अगर आँसू या पसीना मुँह में चला जाए तो क्या रोज़ा टूट जाएगा?
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!जवाब: अगर आँसू या पसीना के सिर्फ दो क़तरे मुँह में चले गए और उन्हें निगल लिया, तो रोज़ा नहीं टूटेगा। हाँ! अगर उसकी मात्रा दो क़तरों से अधिक थी और उसकी नमकीनियत पूरे मुँह में महसूस हुई, तो रोज़ा टूट जाएगा। यही हुक्म पसीने का भी है।
सवाल: मेरे मरहूम (स्वर्गीय) वालिद के कुछ रोज़े क़ज़ा थे, क्या मैं उनकी तरफ़ से फिदया अदा कर सकता हूँ?
जवाब: अगर मरहूम के रोज़े क़ज़ा रह गए थे और उन्होंने इसकी वसीयत की थी और कोई माल छोड़ा था, तो उनके वारिस को उनकी तरफ़ से फिदया अदा करना वाजिब है। लेकिन अगर उन्होंने वसीयत नहीं की थी या माल नहीं छोड़ा था, तो फिदया देना ज़रूरी नहीं, लेकिन अगर दिया जाए तो बेहतर है।
सवाल: क्या रोज़े में मिस्वाक कर सकते हैं?
जवाब: बिलकुल, रोज़े में मिस्वाक करना जायज़ है, बल्कि यह सुन्नत-ए-नबवी ﷺ है। हज़रत आमिर बिन रबीअहؓ फ़रमाते हैं कि उन्होंने नबी करीम ﷺ को रोज़े की हालत में कई बार मिस्वाक करते देखा। (अबू दाऊद, तिर्मिज़ी)
सवाल: क्या किसी चीज़ को खरीदते समय चखना जायज़ है?
जवाब: अगर किसी चीज़ को खरीदने में चखना ज़रूरी हो और न चखने से नुक़सान होना यक़ीनी हो, तो चखना जायज़ है, वरना मक़रूह है।
नोट: चखने का मतलब यह है कि सिर्फ़ ज़ुबान से उसका स्वाद महसूस किया जाए और तुरंत थूक दिया जाए। उसमें से कोई भी चीज़ हलक़ से नीचे न जाए। अगर कुछ हलक़ से नीचे चला गया, तो रोज़ा (टूट) जाएगा।
माहे स्याम हेल्प लाइन में मुफ्ती हज़रात व उलमा ए अहले सुन्नत के व्हाट्सअप व कॉन्टेक्ट नंबर्स
- मुफ्ती मोहम्मद इलियास खां नूरी (मुफ्ती आजम कानपुर) 9935366726
- मुफ्ती मोहम्मद हाशिम अशरफी 9415064822
- मुफ्ती मोहम्मद महताब आलम कादरी मिस्बाही 9044890301
- मौलाना फतेह मोहम्मद कादरी 9918332871
- मुफ्ती महमूद हस्सान अख्तर अलीमी 9161779931
- मौलाना कासिम अशरफी मिस्बाही (ऑफिस इंचार्ज) 8052277015
- मौलाना गुलाम हसन क़ादरी 7897581967
- मुफ्ती गुल मोहम्मद जामई अशरफी 8127135701
- मौलाना सुफियान अहमद मिस्बाही 9519904761
- हाफिज़ मोहम्मद अरशद अली अशरफी 8896406786
- जनाब इकबाल अहमद नूरी 8795819161